Followers

Wednesday, November 14, 2018

एक फुट के मजनूमियाँ - डॉ. अनुपम सारस्वत की नज़र से


आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हर इंसान व्यस्त है | माता पिता बच्चों को संस्कारित  करने की इच्छा तो रखते हैं लेकिन वे उन्हें अच्छे स्कूल में शिक्षा व भौतिक सुख सुविधाएं उपलब्ध कराने की इच्छा लिए मात्र धन की व्यवस्था करने वाले माध्यम बन कर ही रह गए हैं | ऐसे में वे बच्चों के लिए समय नहीं निकाल पाते | बच्चे आज मनोरंजन का एक मात्र साधन मोबाइल को ही मानते हैं जिसके कारण समय से पूर्व ही नज़र क्षीण होने लगती है | संयुक्त परिवार व्यवस्था आज बहुत कम देखने में आती है जहाँ नानी दादी अच्छी व शिक्षाप्रद कहानियों के माध्यम से बच्चों को संस्कारित करने का प्रयास किया करती थीं | 

ऐसी परिस्थितियों में यदि कोई बच्चों के लिए ऐसी शिक्षाप्रद व मनोरंजक कहानियाँ लिखे अथवा उनका संकलन करे तो यह बच्चों के लिए एक बहुत ही सार्थक पहल होगी | साधना वैद जी के द्वारा बाल कहानी लेखन की पहल बहुत ही प्रशंसनीय कदम है | मैंने उनकी सभी कहानियाँ पढ़ीं | सभी बहुत ही रोचक एवं शिक्षाप्रद हैं | पुस्तक के रूप में इस कहानी संग्रह का प्रकाशन बालकों के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगा | इन कहानियों को पढ़ने का अनुभव इतना अच्छा रहा कि मुझे तो व्यक्तिगत रूप से लगता है कि साधना वैद जी की इस पुस्तक को बच्चों के कोर्स की पुस्तक के रूप में पाठ्यक्रम में लगाना चाहिए | सरकार की ओर से यह सराहनीय कदम होगा | आशा करती हूँ कि साधना जी की यह पुस्तक सभी पढ़ेंगे व अपने बच्चों को इन शिक्षाप्रद कहानियों के माध्यम से भरपूर ज्ञान एवं मनोरंजन देंगे | इस पुस्तक की सफलता के लिए मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं ! 

प्रवक्ता डॉक्टर अनुपम सारस्वत 
एम. ए., एम. एड., पी. एच. डी.
धन्वन्तरी एजूकेशनल इंस्टीट्यू्ट, आगरा 


साधना वैद 

No comments :

Post a Comment