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Wednesday, November 7, 2018

हे माँ लक्ष्मी




दीपों की माला 
आस्था के मोती 
फूलों के हार 
अर्पित हैं तुझको
हे माँँ लक्ष्मी 
खड़ा हूँ तेरे द्वार !

भर दे झोली 
सँँवार दे जीवन 
नतशिर हूँ आज 
कर दे अनुकम्पा 
पूरी कर आशा 
 बना दे काज !   

हे माता लक्ष्मी
धन धान्य
सुख समृद्धि,  
वैभव की दाता
यह माया दो न दो 
बस इतना वर दे दो
किसी दीन के समक्ष 
मैं स्वयं ही 
इतना दीन न बन जाऊँँ 
कि उस पीड़ित की  
व्यथा ही न देख सकूँ,
किसी अबोध के सामने 
इतना बधिर न हो जाऊँ 
कि उसकी कातर 
पुकार ही न सुन सकूँ
किसी असहाय वृद्ध के सामने 
इतना वज्र न बन जाऊँ कि
उसको सहारा भी न दे सकूँ ! 

हे माँँ लक्ष्मी 
आज दया करुणा के 
इन सद्गुणों से 
मेरा अंतर कर दो 
मालामाल 
उदारता और मानवता की 
दौलत देकर 
कर दो मुझे निहाल ! 

साधना वैद 


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