चाँद और तारों भरी सुहानी रात है,
स्निग्ध शीतल चाँदनी की
अमृत भरी बरसात है,
वादी के ज़र्रे-ज़र्रे में उतरे
इस आसमानी नूर में
कुछ तो अनोखी बात है,
दूर क्षितिज पर पहुँची
अभिसारिका वसुधा का
प्रियतम मयंक की बाहों में
थर थर कम्पित गात है
कारवाँ बनाने को खुद
अपनी ही परछाइयों का
सुकून भरा साथ है,
तुम्हारे हाथ में मेरा हाथ है,
एक दूजे को देने के लिये
प्रेम और समर्पण की सौगात है,
जब इतना सब कुछ हो पास तो
और क्या चाहिये !
साधना वैद
व्वाहहह...
ReplyDeleteसादर नमन..
बहुत खूब
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद उर्मिला जी ! स्वागत है आपका इस ब्लॉग पर !
Deleteबेहतरीन
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका मानव जी ! स्वागत है आपका ईस ब्लॉग पर !
Deleteशानदार रचना |
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जीजी ! आप सबके साथ इस रचना को शेयर करने का आनंद ही कुछ और है !
Deleteहार्दिक धन्यवाद शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 09 मार्च 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद यशोदा जी ! आभार आपका ! सप्रेम वन्दे !
Deleteजब सच्चे प्रेम का मिलन हो जाये तो और चाहिए भी क्या??
ReplyDeleteवाह...वाह और वाह।
नई पोस्ट - कविता २
हृदय से धन्यवाद रोहितास जी ! आभार आपका !
Deleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! आभार आपका !
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