इंसानियत की बात है आगे को आइये,
जन हित के लिए हाथ मदद को बढ़ाइए !
जो दूर हैं घर गाँव से अपनों से दूर हैं,
मुश्किल घड़ी में उनका मनोबल बढ़ाइए !
है देश पे संकट बड़ा विपदा की है घड़ी,
मिलजुल के हराने के लिए साथ आइये !
ज़्यादह नहीं बस कीजिये इतना ही साथियों,
हर घर में थोड़ी रोटियाँ ज़्यादह बनाइये !
होगी क्षुधा जो शांत किसी भूखे पेट की,
पाकर दुआएँ पुण्य का खाता बढ़ाइये !
जाना नहीं है दूर कहीं घर में ही रहें,
घर पर ही रह के आप सबके काम आइये !
जब शत्रु हो बलवान और हो लक्ष्य भी बड़ा,
थोड़ा सा भार अपने कन्धों पर उठाइये !
बीतेंगे ये भी पल गुज़र ही जायेगी घड़ी,
बस फ़र्ज़ देश के लिए अपना निभाइए !
साधना वैद
सार्थक रचना।
ReplyDeleteकोरोना से बचिए।
अपने और अपनों के लिए घर में ही रहिए।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 30 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबीतेंगे ये भी पल गुज़र ही जायेगी घड़ी,
ReplyDeleteबस फ़र्ज़ देश के लिए अपना निभाइए
बिलकुल सही कहा आपने ,ये पल भी गुजर ही जाएंगे ,बहुत ही सुंदर सृजन दी , सादर नमन
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद कामिनी जी ! दिल से आभार !
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! आभार आपका !
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (31 -3-2020 ) को " सर्वे भवन्तु सुखिनः " ( चर्चाअंक - 3657) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी ! सप्रेम वन्दे !
Deleteसुंदर सार्थक सामयिक रचना।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद विकास जी ! आभार आपका !
Deleteसार्थक सर्जन |उम्दा अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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