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Sunday, April 5, 2020

स्वर्ण बिंदु से तुम



मेरे अंतस के मनाकाश पर
दूर क्षितज की रक्तिम रेखा पर हर सुबह
स्वर्ण बिंदु से तुम उदित हो जाते हो !
नहीं जानती भोर तुम्हारे उदित होने से होती है
या तुम मेरे जीवन को आलोकित करने के लिए
भोर की प्रतीक्षा करते हो !
किन्तु यह परम सत्य है
तुम्हारा प्रचुर प्रकाश मुझे असीम ऊर्जा से
भर जाता है और मुझे जीवन का हर रंग
भला लगने लगता है !
फिर संध्या होते होते पुन: एक
निस्तेज स्वर्ण बिंदु से तुम
मेरे अन्तस्तल में हिलोरें लेते
अतल सागर की गहराइयों में
निमग्न हो जाते हो !
लेकिन फिर तुरंत ही असंख्य बिन्दुओं से तुम
एक बार फिर मेरे मन के आकाश में
तारे बन कर छा जाते हो और
मैं सितारों भरी उस चूनर को ओढ़ कर
आश्वस्त हो जाती हूँ कि
तुम हो मेरे पास मुझे घेरे हुए
अपनी बाहों के सुरक्षा कवच में और मैं
अपलक देखती रहती हूँ उस चंद्र बिंदु को
और ढूँढती रहती हूँ उसमें तुम्हारी छवि
न जाने क्यों !

साधना वैद 



17 comments :

  1. This comment has been removed by the author.

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  2. सच में सूर्य का तेज मानव जीवन का सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू है। जो हमेशा हम सभी में सदा ही अपने जीवन के प्रति सकारात्मकता के भाव को एक नई ऊर्जा प्रदान कर बनाये रखता है।

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    1. हार्दिक धन्यवाद पल्लवी जी ! आभार आपका !

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 06 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. हार्दिक धन्यवाद प्रिय सखी ! हृदय से आभार आपका ! सप्रेम वन्दे !

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  4. बहुत बढ़िया

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  5. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

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  6. उत्कृष्ट सृजन

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  7. बहुत प्यारी और कोमल रचना.

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    1. हार्दिक धन्यवाद जेनी जी ! आभार आपका !

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  8. उम्दा रचना |खूबसूरत अभिव्यक्ति |

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    1. दिल से शुक्रिया आपका जी ! बहुत बहुत आभार !

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  9. बहुत सुन्दर ,बहुत प्यारी पंक्तियाँ। शुक्रिया और आभार

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    1. जी ! हृदय से धन्यवाद आपका अजय जी ! बहुत बहुत आभार !

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  10. हार्दिक धन्यवाद महाजन जी ! बहुत बहुत आभार !

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  11. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति !

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    1. हार्दिक धन्यवाद रेखा जी ! हृदय से आपका बहुत बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर ! बहुत देर कर दी हुज़ूर आते आते !

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