आज फिर तुम्हें ख़त लिखने बैठी हूँ
आज फिर अतीत की वीथियों में भटक रही हूँ
पहले लिखते थे ख़त कलम से
स्याही पेन में भर के तैयार रखते थे
जो खत का मजमून लंबा होता !
बीच में स्याही समाप्त हो जाए
तो यह व्यवधान कितना अखरता था !
कलम की निब को भी घिस कर
अपने अनुकूल बना लेते थे !
पेन लीक कर जाते थे और
हाथों की उँगलियाँ स्याही से सन जाती थीं !
बड़े जतन करते कि पेन लीक ना करे
पेन के माउथ की चूड़ियों पर
धागा लपेटते कि पेन लीक न करे
पर निराशा ही हाथ लगती !
सीधे हाथ की तर्जनी और मध्यमा
सदैव स्याही से सनी ही रहतीं !
ना जाने कितने पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय
और कागज़ रंग डाले थे स्याही से
इस कलम के माध्यम से !
ख़त लिखते थे तो अपना दिल ही
उड़ेल कर रख देते थे ख़त में !
अब कहाँ है वो बात रिश्तों में !
ना ख़त ही लिखे जाते हैं
ना कलम की ही ज़रुरत बची
ना स्याही की ही दरकार रही !
अब तो फोन पर हाय हेलो में ही
रिश्ते सिमट कर रह गए हैं !
थोड़ी से अधिक अंतरंगता जतानी हो तो
वीडियो कॉल का सहारा ले लिया जाता है
फ्लाइंग किस उछाल दिये जाते हैं
कुछ मीठे मीठे संबोधनों से
संवादों को सजा दिया जाता है
लेकिन क्या फिर भी वह सब कुछ
कह दिया जाता है
जो एक दूसरे को देखे बिना
एक दूसरे से कुछ कहे बिना
उन लिफाफों में बंद चिट्ठियों में
शब्दबद्ध कर दिया जाता था ?
साधना वैद
पुनश्च: कृपया चर्चा अंक-4065 पढ़े ।
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार मीना जी ! सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteजी ! सादर आभार !
ReplyDeleteउत्कृष्ट रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteजी सही कहा... आज चिट्ठी लिखना तो मुमकिन नहीं लेकिन ईमेल काफी हद तक इस कमी को पूरा कर सकते हैं। सुन्दर रचना।
ReplyDeleteजी ! बिलकुल सही कहा आपने ! फिर भी चिट्ठी लिखने और पढ़ने में जो भावनात्मक रोमांच होता था वह बात ई मेल में नहीं आ सकती ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार !
Deleteसुंदर सृजन।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शिवम् जी ! आपका बहुत बहुत आभार !
Deleteबिल्कुल सही कहा आपने। चिठ्ठीयों की खुश्बू...उसके मिजाज....भावनाओं में बह के वह सबकुछ लिख देना जो सामने कहना बहुत मुश्किल होता है....ये सब स्याही से लिखे चिठ्ठीयों से ही मुमकिन है।
ReplyDeleteवाकई आपने बेहतर बातें लिखी हैं...शायद आपके इन भावनाओं से वे लोग फिर से लिखने लगे जो बिल्कुल इसे छोड़ चुके हैं। शुभकामना।
हार्दिक धन्यवाद प्रकाश जी ! आपको रचना अच्छी लगी मेरा श्रम सार्थक हुआ ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार अनुराधा जी ! दिल से शुक्रिया आपका !
Deleteआपने बहुत ही शानदार पोस्ट लिखी है. इस पोस्ट के लिए Ankit Badigar की तरफ से धन्यवाद.
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अंकित जी ! आपका बहुत बहुत आभार !
Deleteभुत भाव पूर्ण रचना |
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