मुँह में राम
बगल में खंजर
आम मंज़र
आम के आम
गुठलियों के दाम
मौके की बात
अब न मिलें
ऐसे सुअवसर
वक्त की घात
माता का प्यार
चोंचला अमीरों का
खाते हैं मार
सुख न दुःख
निस्पृह है जीवन
बैरागी हम
नन्हा परिंदा
उड़ चला गगन
मन मगन
मन पतंग
ज़िंदगी थामे डोर
मंझा हालात
साधना वैद
माता का प्यार/चोंचला अमीरों का/खाते हैं मार///
ReplyDeleteमन पतंग/ज़िंदगी थामे डोर/मंझा हालात///
बहुत ही शानदार हाइकु, नए विषयों के साथ देख रही हूं साधना जी। मनमोहक सृजन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आपको 👌👌👌🙏🌷🌷🌷❤️🌷🎈
हार्दिक धन्यवाद रेणु जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteमन को छूने वाले हाइकू.
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
नई पोस्ट पौधे लगायें धरा बचाएं
हार्दिक धन्यवाद रोहिताश जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Delete🙏🙏🙏सादर प्रणाम साधना जी ❤️❤️
ReplyDeleteजन्म दिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आपको। सलामत रहिए। आपके उत्तम स्वास्थ्य और यश की कामना करतीं हूं।
🎂🎂🎂🎂🎂🎂
🎊🎊🎊🎊🎊🎊
❣️❣️❣️❣️❣️❣️
🎉🎉🎉🎉🎉🎉
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
💐💐💐💐💐💐
❤️❤️❤️❤️❤️❤️
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
😃😃😃😃🤩🤩
दिल से आभार रेणु जी ! सन्देश के लिए हार्दिक शुभकामनाएं !
Deleteआपकी लिखी रचना गुरुवार 15 जुलाई 2021 को साझा की गई है ,
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
जी ! हार्दिक धन्यवाद संगीता ही ! बहुत बहत आभार आपका ! सप्रेम वन्दे !
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमुँह में राम
ReplyDeleteबगल में खंजर
आम मंज़र
माता का प्यार
चोंचला अमीरों का
खाते हैं मार
100%Right Amazing👍👍👍👍👍
आपको मेरा लिखा पसंद आया मेरा लिखना सफल हुआ ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteकटी पतंग
ReplyDeleteभरे आसमान में
हुई निसंग
बेहतरीन..
सादर नमन
हार्दिक धन्यवाद दिग्विजय जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteमन पतंग
ReplyDeleteज़िंदगी थामे डोर
मंझा हालात
कटी पतंग
भरे आसमान में
हुई निसंग
...वाह!बहुत सुंदर रचना साधना जी ...
बहुत सुंदर🙏
हार्दिक धन्यवाद शरद जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteसारे हाइकु
ReplyDeleteअलग रंग लिए
मन भावन ।
बहुत खूब साधना जी ।
हार्दिक धन्यवाद संगीता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
ReplyDelete