क्या
जानें
आओगे
भुलाओगे
कौन बताये
किस्मत हमारी
फितरत तुम्हारी !
है
पता
मुझे भी
आसाँ नहीं
दुःख भुलाना
पर करें भी क्या
ज़ालिम है ज़माना
हे
प्रभु
आशीष
देना हमें
न चाहें सुख
कर्तव्य पथ से
न हों कभी विमुख
ये
फूल
खिलते
महकते
मुस्कुराते हैं
हमें सुखी कर
भू पे बिछ जाते हैं !
साधना वैद
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शुक्रवार 10 सितम्बर 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार प्रिय यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !
Deleteबहुत सुन्दर कम शब्दों में प्रभावपूर्ण रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद कविता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteशानदार वर्ण पिरामिड।
हार्दिक धन्यवाद सुधा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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