आँचल उसके सपनों का था ,
आँचल में सितारे हसरतों के टंके थे ,
किरण मुरादों की लगी थी ,
इन्द्रधनुषी सतरंगी फूल उसकी उम्मीदों के थे !
अपने ख़्वाबों खयालों की दुनिया में
उस सतरंगी चूनर को ओढ़
वह सारी रात खोई रहती थी
अपने सपनों के राजकुमार की प्रतीक्षा में
जो उसे सफ़ेद अश्व पर बैठा कर
ले जाएगा किसी दूर देश में
जहाँ न दुःख होगा, न ग़रीबी,
न भूख, न बीमारी, न जिल्लत, न जहालत,
न आँसू, न अपमान !
होगा तो बस प्यार !
प्यार प्यार और सिर्फ प्यार !
लेकिन भोर की पहली किरण के साथ
जैसे ही उसकी आँख खुलती है
खुली आँखों से उसके सारे सपने
आँसू की तरह नीचे ढुलक जाते हैं
सपनों का आँचल सर से सरक जाता है
और वह बन जाती है
चाबी भरी पुरानी धुरानी
एक टूटी फूटी गंदी सी गुड़िया
जो अपनी जर्जर साड़ी को
कस कर कमर में लपेट कर
निरत हो जाती है रोज़ की नीरस दिनचर्या में
और सुनती रहती है सबके ताने,
पीती रहती है अपमान के घूँट
और सूनी आँखों से प्रतीक्षा करती रहती है
रात के आगमन की
जब फिर उसके सर पर
सपनों का आँचल होगा
और सफ़ेद अश्व पर सवार होकर
उसका राजकुमार उसके पास आयेगा
और उसे प्यार के गीत सुनाएगा
और जी लेगी वह एक सच्ची खुशी
उस झूठी सी एक रात में !
साधना वैद
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !
ReplyDeleteसुंदर रचना🙏
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अंकित जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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ReplyDeleteरचना बहुत अच्छी और ह्रदय स्पर्शी है।
हार्दिक धन्यवाद अनिल जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteसुंदर रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार !
Deleteसुप्रभात
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति |उम्दा रचना |