आज तुम सफलता के
जिस सर्वोच्च शिखर पर
इतनी शान से खड़े हो
क्या तुम जानते हो
इस शिखर पर चढ़ने के लिए
जिन सोपानों पर तुमने
अपने पग धरे थे
उनकी आज क्या दशा है ?
वे सोपान थे तुम्हारे परिवार के,
तुम्हारे अपनों के,
तुम्हारे आत्मीय स्वजनों के !
पहला सोपान थे
तुम्हारे पिता के मजबूत कंधे
जो तुम्हें यहाँ पहुँचाने के प्रयास में
आज इतने अशक्त और जर्जर हो चुके हैं
कि अब और किसीका वज़न
उठाने का उनमें बूता ही नहीं रहा !
अगले कई सोपान थे तुम्हारी माँ के
अनवरत अकथनीय त्याग और परिश्रम के
जिन्होंने तुम्हारी उच्च शिक्षा के स्वप्न को
पूरा करने के लिए अपनी
हर ज़रुरत, हर माँग को मुल्तवी रखा
ताकि तुम्हारी ज़रूरतें पूरी हो सकें !
तुम्हारे भाई बहन बने बाकी की सीढ़ियाँ
जिन्होंने अपने सपनों का प्रतिबिम्ब
तुम्हारे ही सपनों में देख लिया,
और स्वयं को मान लिया तुम्हारी परछाईं !
उन्होंने भुला दिया अपने अस्तित्व को
ताकि तुम वह सब हासिल कर सको
जिसकी तुम्हें चाह थी !
लेकिन यह क्या ?
इन सारे सोपानों को चढ़ कर
आज तुम जिस मुकाम पर पहुँच गए हो
क्या वहाँ से तुम्हें अपने वृद्ध जर्जर पिता,
गृहस्थी की चक्की में दिन रात पिसती कातर माँ
और तुम्हारे सपनों की तेज़ चमक में
अपने नाउम्मीद सपनों को खो देने वाले
हताश परिवार का कोई शख्स दिखाई नहीं देता ?
जो सफलता के शिखर पर चढ़ने का यही अर्थ है
तो आज मैं शिखर तक पहुँचाने वाले
हर सोपान को वहाँ से हटा देना चाहती हूँ !
हाँ ! मानवता के मूल्य पर
सोपान का यह दुरुपयोग मुझे
कतई मंज़ूर नहीं !
साधना वैद
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 06 मार्च 2022 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
हार्दिक धन्यवाद रवीन्द्र जी ! आपका बहुत बहुत आभार ! सादर वन्दे !
Deleteएक सफल मनुष्य के पीछे उसके परिवार का त्याग, परिश्रम और सपने जुड़े होते हैं।
ReplyDeleteउनको कभी नहीं भूलना चाहिए अगर कोई भूल जाये तो ये बर्दाश्त के बाहर है।
आपसे सहमत हूँ मान्यवर ! हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका !
Deleteमर्मस्पर्शी रचना ।
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार संगीता जी ! दिल से अभिनन्दन !
Deleteशिखर पर चढ़ जाने के बाद कुछ लोग तो खुद ही ठोकर मारकर सीढ़ी को गिरा देते हैं ! सोपान हटा दीजिए, किसी को कोई फरक नहीं पड़ता दीदी। दौलत के और सफलता के पंख जो लग जाते हैं।
ReplyDeleteबिलकुल सही कह रही है आप मीना जी ! सफलता का नशा जब हो जाता है तब मानवीय मूल्य हाशिये पर सरका दिए जाते हैं ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार !
Deleteशानदार अभिव्यक्ति
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