अम्माँ की बोली
सद्गुण संस्कार से
भर दे झोली
अम्माँ की बोली
मन और प्राणों में
मधु सा घोली
अम्माँ की बोली
गुणकारक जैसे
नीम निबोली
अम्माँ की बोली
उनींदी पलकों पे
मीठी सी लोरी
अम्माँ की बोली
फूल ने हवाओं में
खुशबू घोली
अम्माँ की बोली
मीठी इतनी जैसे
कोयल बोली
अम्माँ की बोली
दुलराती शब्दों से
बेटी को भोली
अम्माँ की बोली
धमकाती बच्चों को
मस्तों की टोली
अम्माँ की बोली
पावन इतनी ज्यों
देवों की बोली |
साधना वैद
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (26-02-2022 ) को 'फूली सरसों खेत में, जीवित हुआ बसन्त' (चर्चा अंक 4353) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !
Deleteक्या बात है साधना जी। अम्मा की ये बोली बहुत ही प्यारी और मनमोहक है। सच में आजकल अम्मा की मधुर वाणी को भले कोई सुनना ना चाहे पर उसका महत्व किसी से छुपा नहीं। संस्कारों की अमर बेल को सींचती ये मधुर और सरस वाणी सच में देव वाणी सरीखी पावन और निर्मल है। इस भावपूर्ण अभिव्यक्ति को नमन 🙏🙏❤️❤️🌷🌷
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद रेणुबाला जी ! रचना आपको अच्छी लगी मेरा लिखना सफल हुआ ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteहाइकु रचे
ReplyDeleteमीठी बोली अम्मा की
मन को भाए ।।
बेहतरीन
हार्दिक धन्यवाद संगीता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबहुत सुन्दर रचना , अम्मा की बोली प्रेम रस से सराबोर तो होती ही है सदा ही गुणकारक ! राधे राधे
ReplyDeleteजी सही कहा आपने ! हृदय से धन्यवाद आपका ! बहुत बहुत आभार !
Deleteवाह बहुत ही प्यारी रचना!
ReplyDeleteएकदम अम्मा की बोली की तरह मन मुग्ध करने वाली!
हार्दिक धन्यवाद मनीषा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबहुत सुंदर ♥️
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद पांडे जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteउम्दा रचना है |
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जीजी । बहुत बहुत आभार आपका ।
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