रुद्राक्ष
रचा लिया है तुम्हें आँखों में,
धारण कर लिया है उर पटल पर
कर लिया है अवस्थित तुम्हें
अंतस्तल के सर्वोच्च आसन पर
तुम सामान्य सी माला के मोती नहीं
तुम रुद्राक्ष हो ! एक अनमोल रुद्राक्ष !
मेरे जीवन का सबसे मूल्यवान उपहार
मेरी आध्यात्मिक तलाश का अंतिम लक्ष्य
मेरी भौतिक भ्रांतियों का सर्वश्रेष्ठ समाधान
मेरी भक्ति, निष्ठा, आस्था का सर्वोत्तम सिला
मेरे प्रेम, मेरे समर्पण का पुण्य फल
यह रुद्राक्ष मेरी अतुलनीय निधि है प्रभु
क्योंकि यह तुमने मुझे दिया है !
इसीलिये तो यह मेरे लिए तुम्हारे
दिव्यतम वरदान के स्वरुप है !
इस कृपा के लिए तुम्हें कोटि कोटि आभार
और मेरा शत शत प्रणाम मेरे प्रभु !
मुझे इतनी शक्ति और देना कि
मैं इस रुद्राक्ष का मान रख सकूँ !
साधना वैद
बहुत खूब।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद तिवारी जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteरुद्राक्ष की महिमा जो जान ले वह ऐसा ही कहेगा
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteसुंदर आध्यात्मिक भाव ।
ReplyDeleteहृदय से धन्यवाद संगीता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deletebahut sundar rachanaa
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार !
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