आज दुनिया में
हर चीज़ बिकाऊ हो चुकी है
हवा से लेकर पानी तक
खुशबू से लेकर मुस्कान तक
चितवन से लेकर चाल तक
लेकिन अभी भी बहुत कुछ बाकी है
जो अनमोल होते हुए भी
बिलकुल बिकाऊ नहीं है
जो संसार में
सबसे कीमती होते हुए भी
नितांत नि:शुल्क है
लेकिन जिसकी कद्र करना
आज का इंसान भूल गया है
जिसे एक कोने में उपेक्षा से डाल कर
इंसान ने उससे नज़रें फेर ली हैं
वह है माता पिता का प्यार
माता पिता का आशीर्वाद
माता पिता का सान्निध्य !
कब समझेगा यह मूरख इंसान
यह वह अनमोल वरदान है
जो कभी बिकाऊ नहीं हो सकता
जिसका मोल इस संसार में
कभी कोई लगा ही नहीं सकता
क्योंकि उसे
बिलकुल मुफ्त
अबाध मात्रा में पाया तो जा सकता है
लेकिन उसका अल्पांश भी
खरीदने की औकात
किसी में नहीं है !
साधना वैद
माँ-बाप जब नहीं रहते तब उनका और उनकी भावनाओं का मोल समझ में आता है ! पर फिर सिर्फ पछतावा ही रह जाता है ! वैसे हमने अनायास प्राप्त हर चीज की बेकद्री की है
ReplyDeleteबिल्कुल सही कह रहे हैं आप गगन जी ! जो चीज़ बिन माँगे मिल जाती है उसकी कद्र हम नहीं करते यही तो विडम्बना है ! आपका हार्दिक धन्यवाद !
Deleteहार्दिक धन्यवाद दिग्विजय जी ! सादर वंदे !
ReplyDeleteमाता पिता का प्यार अनमोल है पर आजकल संतानों के मन में उनकी कोई कदर नहीं ।बहुत सटीक एवं सारगर्भित सृजन ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद सुधा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteमाता-पिता के स्नेह की कोमल भावनाओं से बुनी सुंदर रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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