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Thursday, September 26, 2024

बच्चों में अनुशासन की कमी – कारण और निदान

 



बच्चों में अनुशासन की कमी – कारण और निदान

आजकल के बच्चों में मुख्य रूप से किशोर वय के बच्चों में अनुशासनहीनता एवं निरंकुशता के दर्शन कुछ अधिक ही हो रहे हैं ! उसका मुख्य कारण भी घर परिवार का वातावरण है और इसका निदान भी घर में ही है ! संयुक्त परिवारों का टूटना इसका सबसे बड़ा कारण है ! जहाँ माता पिता दोनों ही काम करने वाले होते हैं वहाँ बच्चों की अच्छी परवरिश की समस्या आ जाती है ! लेकिन उन परिवारों में जहाँ घर में और भी कई सदस्य रहते हैं इसका निदान आसानी से हो जाता है क्योंकि परिवार के वे सभी सदस्य बच्चों का बहुत अच्छी तरह से ध्यान रखते हैं उनमें अच्छे संस्कारों का बीजारोपण करते हैं और बच्चे भी उनका कहना मानते हैं उनका आदर करते हैं ! लेकिन जहाँ संयुक्त परिवार टूट गए हैं घर के बड़े बुजुर्गों का स्थान अल्प शिक्षित नौकरों, आया व नैनीज़ वगैरह ने ले लिया है जिनका एक मात्र सरोकार सिर्फ अपने वेतन से होता है बच्चों की परवरिश से नहीं ! अक्सर इनमें से अधिकाँश नौकर स्वयं बुरी आदतों के शिकार होते हैं, जैसे झूठ बोलना, चोरी करना, बहाने बनाना आदि और बच्चों को भी वे ही यही बातें सिखाते हैं ! माता पिता अपने बच्चों पर पूरी तरह से ध्यान नहीं दे पाते इस अपराध बोध से मुक्ति पाने के लिए वे बच्चों की हर सही गलत माँग को पूरा करने के लिए बाध्य रहते हैं और बच्चे इस मौके का फ़ायदा उठाते हैं ! घर में बच्चों पर कोई अंकुश नहीं होता तो वे अपने फोन पर या टी वी पर अनर्गल कार्यक्रम देख कर अपना मनोरंजन करते हैं जिसका उनके मन मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है ! आजकल बच्चों में स्वेच्छाचारिता व् एकान्तप्रियता की भावना भी प्रबल रूप से घर करती जा रही है ! वे अपने पसंद के लोगों के अलावा अन्य किसीसे से बात करना मिलना जुलना बिलकुल पसंद नहीं करते ! कोई घर आ जाए तो कमरे से भी बाहर नहीं आते ! उन्हें मँहगे मँहगे वीडियो गेम्स और बाहर दोस्तों के साथ सैर सपाटा करने में ही आनंद आता है जो बिलकुल गलत है ! वे किसीसे आदरपूर्वक बात नहीं करते !
इन समस्याओं के निदान माता पिता के हाथ में ही हैं ! सबसे पहले वे अपना आचरण सुधारें ! बच्चों की पहली पाठशाला घर में ही होती है ! बच्चों को घर के सभी सदस्यों का आदर करने की और उनकी बात मानने की शिक्षा दें ! बच्चों के दोस्तों पर भी सतर्क नज़र रखें एवं उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में भी जानें ! अक्सर टूटे परिवारों के बच्चे अस्वस्थ मानसिकता के शिकार हो जाते हैं और ऐसे बच्चों का साथ आपके बच्चे पर भी बुरा प्रभाव डाल सकता है ! घर में कुछ अच्छी परम्पराओं का प्रतिपादन करें और स्वयं भी उनका पालन करें ! शाम का समय सब साथ बैठ कर खाना खाएं ! खाने के समय टेलीफोन का प्रयोग बिलकुल वर्जित कर दें ! बच्चों के हाथों से घर के अन्य सदस्यों को खाना परसवायें ! बुज़ुर्ग अगर घर में हैं तो प्रतिदिन उनके पास कुछ समय बैठने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करें ! इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बच्चे उनका अनादर न करें ! बच्चों को उनके कर्तव्यों का भान अवश्य कराते रहें ताकि उनमें अच्छे संस्कारों की नींव पड़े और वे अच्छे इंसान बनें ! उन्हें जो भी समझाएं प्यार से समझाएं ताकि वे उसे मन से आत्मसात करें चिढ़ कर नहीं ! क्योंकि जिन बातों को मन से नहीं किया जाता उनका असर भी अस्थाई ही होता है ! स्वयं भी बच्चों के सामने नियंत्रित रहें और किसीसे अपमानजनक भाषा में बात न करें ! आजकल असभ्यता और बदतमीजी को आधुनिकता और बोल्डनेस का पर्याय समझा जाने लगा है !


चित्र - गूगल से साभार 


साधना वैद


4 comments :

  1. अनुभव के आधार पर बहुत अच्छी मार्गदर्शिका लिखा है आपने।
    सादर।
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    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ सितम्बर २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद श्वेता जी ! आपका हृदय से आभार ! सप्रेम वन्दे !

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  2. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद आलोक जी ! आभार आपका !

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