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Thursday, October 22, 2015
प्रेम
Monday, November 24, 2014
विनती सुनो मेरी
Sunday, March 4, 2012
एक बाँझ सी प्रतीक्षा

Wednesday, January 11, 2012
तुम्हारा इंतज़ार है
मुक्ताकाश में सजी
तारक मालिका से
प्रेरणा ले मैंने
आज अपनी
पलकों की डोर में
अश्रु मुक्ताओं को पिरो कर
अपने नयनों के द्वारों को
मनमोहक बंदनवार से
तुम्हारे लिये
सजाया है !
बारिश की बूँदों पर
बिखरी सूर्य की
कोमल किरणों
की अनुकम्पा से
उल्लसित हो
अनायास मुस्कुरा उठे
इन्द्रधनुष से
प्रेरित हो मैंने
अपनी सारी
आशा और विश्वास,
श्रद्धा और अनुराग,
मान और अभिमान
हर्ष और उल्लास के
सजीले रंगों से
अपने हृदय द्वार को
सुन्दर अल्पना के
आकर्षक बूटों से
सजाया है !
झर-झर बहते
चंचल, उच्श्रंखल
निर्मल निर्झर से
एक सुरीली सी
तरल तान उधार ले
तुम्हारे लिये
कोमल स्वरों से सिक्त
एक सुमधुर
स्वागत गीत
भी गुनगुनाया है !
अब बस उस आहट
को सुनने के लिये
मन व्याकुल है
जब दिल की ज़मीन पर
तुम्हारे कदमों
के निशाँ पड़ेंगे
और पतझड़ की
इस वीरानी में
बहार के आ जाने का
एहसास होने लगेगा !
साधना वैद