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Friday, March 25, 2011

झील के किनारे



चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !

जहाँ दिखा था पानी में प्रतिबिम्ब तुम्हारा ,
उस इक पल से जीवन का सब दुःख था हारा ,
कितनी मीठी यादों के थे नभ में तारे ,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !

जहाँ फिजां में घुला हुआ था नाम तुम्हारा ,
फूलों की खुशबू में था अहसास तुम्हारा ,
मीठे सुर में पंछी गाते गीत तुम्हारे ,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !

जहाँ हवा के झोंकों में था परस तुम्हारा ,
हर साये में छिपा हुआ था अक्स तुम्हारा ,
पानी पर जब लिख डाले थे नाम तुम्हारे ,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !

शायद अब भी वहीं रुकी हो बात तुम्हारी ,
किसी लहर में कैद पड़ी हो छवि तुम्हारी ,
मेरे छूने भर से जो जी जायें सारे ,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !

मन का रीतापन थोड़ा तो हल्का होगा ,
सूनी राहों का कोई तो साथी होगा ,
तुम न सही पर यादें होंगी साथ हमारे ,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !

जादू की उस नगरी में जाना है मुझको,
हर तिलस्म को तोड़ तुम्हें पाना है मुझको,
जो आ जाओ रौशन होंगे पथ अँधियारे,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे ! 


साधना वैद

19 comments :

  1. शायद अब भी वहीं रुकी हो बात तुम्हारी ,
    किसी लहर में कैद पड़ी हो छवि तुम्हारी ,
    मेरे छूने भर से जो जी जायें सारे ,
    चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !

    ...बहुत कोमल अहसास...सुन्दर भावपूर्ण रचना..

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  2. ..........................
    .................
    ..............
    .........
    ......
    ....
    ..
    अब हर कविता को अति सुन्दर अति सुन्दर बोलूँगा तो आप कहेंगी की झूठी प्रशंसा तो सोचा थोड़ी चित्रकारी कर दूँ...

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  3. शायद अब भी वहीं रुकी हो बात तुम्हारी ,
    किसी लहर में कैद पड़ी हो छवि तुम्हारी ,
    मेरे छूने भर से जो जी जायें सारे ,
    चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !

    मन का रीतापन थोड़ा तो हल्का होगा ,
    सूनी राहों का कोई तो साथी होगा ,

    मन के कोमल भाव जो आज भी लहर बन कर झकझोरते हैं ..और ऐसी कामना करते हैं ...सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति

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  4. कोमल मन की कोमल कोमल भावनाएं...

    "मेरे छूने भर से जो जी जायें सारे ,
    चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !"

    काश कि ये छुअन सजीव हो जाये....
    बहुत सुन्दर...!!

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  5. हमेशा की तरह एक बेहतरीन रचना ..... बहुत खूब

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  6. .

    @-तुम न सही पर यादें होंगी साथ हमारे ....

    Fond memories are always our best companion.

    .

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  7. प्रियतम से मिलने की अनादि इच्छा , भाव प्रवणता से व्यक्त . सुमधुर गेय रचना .

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  8. "मन का रीतापन कुछ तो कम होता -------
    झील के उसी किनारे "

    बहुत ख़ूबसूरती से भाव व्यक्त किये हैं |बधाई
    आशा

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  9. शायद अब भी वहीं रुकी हो बात तुम्हारी ,
    किसी लहर में कैद पड़ी हो छवि तुम्हारी ,

    क्या बात है...बड़ी ही प्यारी सी रचना

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  10. मन का रीतापन थोड़ा तो हल्का होगा ,
    सूनी राहों का कोई तो साथी होगा ,
    तुम न सही पर यादें होंगी साथ हमारे ,
    चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !

    सुंदर गीत कोमल एहसास लिए हुए.

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  11. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 29 -03 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  12. शायद अब भी वहीं रुकी हो बात तुम्हारी ,
    किसी लहर में कैद पड़ी हो छवि तुम्हारी ,
    मेरे छूने भर से जो जी जायें सारे ,
    चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !

    बहुत सुन्दर भाव.

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  13. शायद अब भी वहीं रुकी हो बात तुम्हारी ,
    किसी लहर में कैद पड़ी हो छवि तुम्हारी ,
    मेरे छूने भर से जो जी जायें सारे ,
    चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !
    mann ruko , main bhi aati hun

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  14. स्मिताMarch 29, 2011 at 6:03 PM

    झील से गहरे हैं भाव आपके ,
    मन हर लेते हैं जज्बात आपके |

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  15. bahut sunder man ke bhaavo ka chitran kiya hai. bahut komal ehsaas.sach me jheel ka kinara bahut kuchh beete hue ka aur sunder sapno ka aayina dikha deta hai.

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  16. -------- यदि आप भारत माँ के सच्चे सपूत है. धर्म का पालन करने वाले हिन्दू हैं तो
    आईये " हल्ला बोल" के समर्थक बनकर धर्म और देश की आवाज़ बुलंद कीजिये...
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    क्या यही सिखाता है इस्लाम...? क्या यही है इस्लाम धर्म

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  17. मन का रीतापन थोड़ा तो हल्का होगा ,
    सूनी राहों का कोई तो साथी होगा ,

    यह पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं.

    सादर

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