ओ रे चितेरे
धरा से गगन तक
चहुँ ओर रंगों के इस
विस्मय विमुग्धकारी विस्तार
को देख कर हैरान हूँ कि
तूने समस्त व्योम पर
अपने भण्डार के
सारे मनोरम रंगों को
यूँ ही उलीच दिया है या
अपनी विलक्षण तूलिका से
तूने आसमान के कैनवस पर
यह अनुपम नयनाभिराम
चित्र बड़ी दक्षता के साथ
धीरे-धीरे उकेरा है !
ओ भुवन भास्कर
आज तेरी कलाकारी की
मैं भक्त हो गयी हूँ कि
कैसे तेरी धधकती दहकती
प्रखर रश्मियाँ
वातावरण में व्याप्त
नन्हे-नन्हे जल कणों के
संपर्क में आ उनकी आर्द्रता से
प्रभावित हो अपनी समस्त
ज्वलनशीलता को त्याग
इतने अनुपम सौंदर्य की सृष्टि
कर जाती हैं और
धरा से गगन तक
इन्द्रधनुष के मनभावन
रंगों की छटा चहुँ ओर
स्वयमेव बिखर जाती है !
इतना ही नहीं
इन्द्रधनुष के ये रंग
मानव हृदय में
अशेष आनंद भर देने के
साथ-साथ दे जाते हैं
एक चिरंतन सन्देश
जीवन्तता और सृजनात्मकता का
विवेक और संतुलन का
आध्यात्मिकता और अनन्तता का
और एक शाश्वत पीड़ा का
जो ना केवल
हर मानव के जीवन का
प्रतिबिम्ब हैं वरन्
अभिन्न हिस्सा भी हैं
उसकी नियति का !
इंद्रधनुष के सात रंग इन विशिष्ट गुणों के परिचायक हैं !
लाल – जीवन्तता
नारंगी – सृजनात्मकता
पीला – विवेक
हरा – संतुलन
नीला – आध्यात्मिकता
जामुनी – अनन्तता
बैंगनी – शोक, दु:ख
साधना वैद
धरा से गगन तक
इंद्रधनुष के सात रंग इन विशिष्ट गुणों के परिचायक हैं !
लाल – जीवन्तता
नारंगी – सृजनात्मकता पीला – विवेक
हरा – संतुलन
नीला – आध्यात्मिकता
जामुनी – अनन्तता
बैंगनी – शोक, दु:ख
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 16/08/2019 की बुलेटिन, "प्रथम पुण्यतिथि पर परम आदरणीय स्व॰ अटल बिहारी वाजपाई जी को नमन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआपका हार्दिक धन्यवाद शिवम् जी ! बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 17 अगस्त 2019 को साझा की गई है........."सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-08-2019) को "देशप्रेम का दीप जलेगा, एक समान विधान से" (चर्चा अंक- 3431) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
सांध्य दैनिक मुखरित मौन में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteसोमवारीय हमकदम की हलचल में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteरविवारीय चर्चामंच में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति, साधना दी।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद ज्योति जी ! आभार आपका !
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह!!बेहतरीन सृजन ,साधना जी ।
ReplyDeleteजी बहुत खूबसूरत ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! आभार आपका !
ReplyDeleteहृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शुभ्रा जी ! स्वागत है आपका !
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद सुजाता जी ! आभार आपका !
ReplyDeleteइन्द्रधनुषी रंगों की खूबसूरत तस्वीर उकेरती बहुत ही सुन्दर रचना....
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार सुधाजी!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete