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Monday, March 16, 2020

ताशकंद यात्रा – १२ सम्मलेन का तृतीय सत्र



चिमगन माउन्टेन की सैर और चारवाक झील में बोटिंग करने के बाद मन बहुत उल्लसित था ! अब तो शाम के सत्र के लिए उत्सुकता थी ! आज के इस सत्र में मुझे अपनी एक लघुकथा सुनानी थी ! होटल पहुँच कर तैयार होकर हमें तृतीय सत्र के लिए आज फिर ऑस्कर होटल जाना था जहाँ कल रात को बुखारा से लौटने के बाद हम लोग डिनर के लिए गए थे और बहुत ही स्वादिष्ट भारतीय भोजन का आनंद लिया था ! इस बात से भी मन प्रसन्न था कि आज का डिनर भी निश्चित रूप से अच्छा ही होगा, एकदम विशुद्ध भारतीय और सुस्वादिष्ट ! रेस्ट करने का समय नहीं था ! बोटिंग के बाद ऊपर बस तक पहुँचने में हम ही सबसे लेट हो गए थे ! अब मैं दोबारा यह ग़लती दोहराना नहीं चाहती थी ! इसलिए बिना वक्त गँवाए जल्दी से क्विक शॉवर लेकर हम लोग तैयार हो गए ! नीचे जाने ही वाले थे कि फोन पर सूचना आई कि श्रीमती सविता चड्ढा जी के कमरे में जाना है ! सब वहीं एकत्रित हो रहे हैं ! सविता जी वरिष्ठ साहित्यकार हैं और अनेकों साहित्यिक संस्थाओं एवं गतिविधियों से जुड़ी हुई हैं ! उनके यहाँ से फ्री होते ही सब जल्दी जल्दी नीचे जाकर बस में बैठ गए ! बुखारा में थकान से या वायरल इन्फेक्शन से ग्रुप के कुछ सदस्यों का स्वास्थ्य खराब हो गया था ! हमारी टीम लीडर स्वयं संतोष श्रीवास्तव जी, मनसा पांडे जी, राकेश सक्सेना जी, क्षमा पांडे जी व आभा दवे जी की तबीयत कुछ ढीली थी ! लेकिन इस सत्र में कोई भी अनुपस्थित रहना नहीं चाहता था ! इसलिए अस्वस्थ होने के बावजूद भी सब हिम्मत करके नॉर्मल दिखने की कोशिश कर रहे थे !

निश्चित समय पर हम ऑस्कर होटल पहुँच गए ! आज वहाँ की सज्जा बिलकुल अलग थी ! हॉल को सम्मलेन की आवश्यकता व प्रारूप के अनुकूल सजा दिया गया था ! विश्व मैत्री मंच का बड़ा सा बैनर मंच के पार्श्व में शोभायमान हो रहा था ! सामने दर्शकों के बैठने के लिए यथेष्ट कुर्सियाँ लगा दी गयी थीं ! जाते ही तृतीय सत्र की गतिविधियाँ आरम्भ हो गयीं ! आज के कार्यक्रम की अध्यक्ष थीं श्रीमती चंद्रकला त्रिपाठी जी, विशिष्ट अतिथि थे श्री कृष्ण कुमार मिश्र जी तथा संचालन कर रही थीं श्रीमती अंजना श्रीवास्तव जी ! सभी सम्माननीय सदस्यों ने मंच पर आकर अपनी एक से बढ़ कर एक प्रस्तुतियाँ दीं ! किसीने कविता पढ़ी, किसीने लघुकथा पढ़ी ! सबकी अपनी अद्भुत शैली अनुपम अभिव्यक्ति ! समय सीमा सीमित थी ! विषय भी निर्धारित था स्त्री विमर्श ! वैसे तो मुझे लघुकथा पढ़नी थी ! लेकिन अंजना जी ने मेरे नाम की घोषणा करते हुए मुझे कविता या लघुकथा कुछ भी पढ़ने के लिए जब आमंत्रित किया तो मैंने कविता पढ़ना ही अधिक पसंद किया ! मैंने अपनी एक कविता ‘मौन’ सुनाई जो आज के विषय के लिए भी उपयुक्त थी ! इतने प्रबुद्ध मनीषियों के सम्मुख अपनी रचना को पढ़ना मेरे लिए बड़ा सुखद अनुभव था ! श्री विजयकांत वर्मा जी, राकेश सक्सेना जी, सुषमा झा जी, मधु सक्सेना जी, नीलिमा मिश्रा जी, सविता चड्ढा जी, यास्मीन मूमल जी, मनसा पांडे जी, अलका चौधरी जी, लक्ष्मी यादव जी, कृष्ण कुमार मिश्र जी, क्षमा पांडे जी, प्रभा शर्मा जी, आभा दवे जी, चंद्रकला त्रिपाठी जी सबने अपनी उच्च स्तरीय साहित्यिक रचनाओं की प्रस्तुति दी ! अंत का समापन भाषण हमारी अध्यक्षा श्रीमती संतोष श्रीवास्तव जी ने दिया !

 कार्यक्रम में सबको बहुत आनंद आ रहा था ! लेकिन समय की सीमा निर्धारित थी ! होटल मैनेजमेंट ने हमारे मनोरंजन के लिए बैली डांसर्स को बुलाया हुआ था ! जिन्हें यहाँ अपनी प्रस्तुति देकर किसी अन्य होटल में जाना था जहाँ के लिए उनकी बुकिंग पहले ही हो चुकी थी ! उन्हें बहुत देर तक इंतज़ार नहीं करवाया जा सकता था ! सबकी ग्रुप फोटो के साथ सम्मलेन के तृतीय सत्र की समाप्ति की घोषणा हुई और बैली डांसर्स के लिए डांस फ्लोर पर कुर्सियाँ सरका कर जगह बना दी गयी !

ताशकंद में लगभग सभी होटल्स में डिनर के समय बैली डांस किये जाने का चलन है ! इस डांस में संगीत, रिद्म, हाव भाव और शरीर की लचीली मुद्राओं का आकर्षक प्रदर्शन होता है ! हालाँकि पूरा मध्य एशिया इस्लाम धर्म का अनुयायी है लेकिन कम कपड़ों के साथ किये जाने वाले इस कलात्मक नृत्य को लगभग सभी देशों में सहज स्वीकृति मिली हुई है ! उज्बेकिस्तान के अलावा यह तुर्की, इजिप्ट, सीरिया और कज़ाकिस्तान आदि में भी ज़ोर शोर से प्रचलित है ! हमारे ग्रुप के कुछ सदस्यों को शुरू में तो इस तरह का डांस कुछ आपत्तिजनक लगा लेकिन बाद में सभी ने इसे नृत्य कला प्रदर्शन का एक स्वरुप मान स्वीकार कर लिया और डांस फ्लोर पर होने वाले नृत्य का भरपूर आनंद लिया और तालियों के साथ कलाकारों का उत्साह बढ़ाया !

परियों की तरह अत्यंत सुन्दर, कमनीय एवं अपनी कला में प्रवीण नृत्यांगनाएँ श्वेत परिधान में फ्लोर पर जादू सा बिखेर रही थीं ! उनकी मुद्राएं, हाव भाव, शरीर की लचक और पद संचालन देखने लायक था ! उन्होंने हिन्दी गानों पर भी बहुत बढ़िया डांस किया ! ग्रुप के कई सदस्य वीडियो बनाने में मशगूल थे ! ग्रुप की कुछ उत्साही सदस्याएं उनका साथ फ्लोर पर भी निभा रही थीं ! शानदार कार्यक्रम, जानदार प्रस्तुति और भरपूर मनोरंजन ! बहुत मज़ा आया !
नृत्य का कार्यक्रम समाप्त होते ही खाना सर्व कर दिया गया ! सबका मूड बहुत अच्छा था ! सबने बड़े खुश होकर अपनी प्लेट्स उठाईं ! सबको यकीन था कि आज भी कल की तरह ही स्वादिष्ट भोजन होगा लेकिन ........ इस प्रसंग को यहीं छोड़ देते हैं !

अस्वस्थ लोगों पर दिन भर की भाग दौड़ से कुछ अधिक प्रेशर पड़ गया था तो इस समय तक सबकी तबीयत खराब होने लगी थी ! सबको आराम की सख्त ज़रुरत थी ! आभा जी तो खड़ी भी नहीं हो पा रही थीं ! संतोष जी की तबीयत भी ठीक नहीं थी लेकिन वे अन्य सदस्यों के स्वास्थ्य के प्रति अत्यंत सतर्क एवं चिंतित थीं ! सबको दवाएं देना, उनके आराम व सुविधा का ख़याल रखना, उन्हें साथ और सहारा देने के लिए उनके पास खड़े रहना उनके कोमल दिल और कुशल नेतृत्व क्षमता का परिचय दे रहे थे ! आज की रात ताशकंद में हमारी आख़िरी रात थी ! बस २९ अगस्त का आख़िरी दिन बचा था और रात की फ्लाइट से हमारी दिल्ली की वापिसी तय थी ! ऑस्कर का कार्यक्रम समाप्त होते ही सबको अनायास ही थकान अनुभव होने लगी ! सब होटल पहुँच कर आराम करना चाहते थे ! तो दोस्तों ! आप लोग भी आराम करिए !

अगला वृत्तांत आपको अगली कड़ी में सुनाउँगी ! आज की कथा यहीं समाप्त करती हूँ ! तब तक आप इन तस्वीरों का आनंद उठाइये और मुझे आज्ञा दीजिये !
शुभ रात्रि

साधना वैद

9 comments :

  1. शानदार वर्णन |पूरे समय बांधे रखता है |

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  2. अरे वाह ! आपने पढ़ भी लिया ! दिल से शुक्रिया ! यह कड़ी डालने से भूल गयी थी ब्लॉग पर ! वैसे सब स्वतंत्र कड़ियाँ हैं ! कहीं से भी पढ़ सकते हैं !

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  3. सुन्दर और रोचक यात्रा प्रसंग

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    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (18-03-2020) को    "ऐ कोरोना वाले वायरस"    (चर्चा अंक 3644)    पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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  5. शानदार एवं रोचक संस्मरण। नई जगह में अक्सर तबियत नासाज हो ही जाती है। उम्मीद है सभी जल्द ही ठीक हो गए होंगे। अगली कड़ी का इंतजार रहेगा।

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    1. इस ब्लॉग पर स्वागत है आपका विकास जी ! इस धारावाहिक की अगली कड़ी आपको इसी ब्लॉग पर ४ मार्च की पोस्ट में मिल जायेगी ! यह भूल से रह गयी थी इसलिए इसे अभी पोस्ट किया है ! इस यात्रा वृत्तांत का पूरा आनंद उठाने के लिए इसे आरम्भ से पढ़िए ! पहली कड़ी २ अक्टूबर २०१९ को प्रकाशित ताशकंद यात्रा के शीर्षक से आपको इसी ब्लॉग पर मिल जायेगी ! कुल 13 कड़ियाँ हैं धारावाहिक की ! अंतिम पोस्ट ४ मार्च को प्रकाशित हुई है ! आभार आपका आपको यह वृत्तांत अच्छा लगा !

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    2. जी जरूर!! मैंने पिछली काफी कड़ियाँ पढ़ी थी लेकिन व्यस्तता के चलते बीच में पढ़ना रह गया था.... जल्द ही पूरा वृत्तांत पढ़ता हूँ....

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  6. रोचक वर्णन !

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