Followers

Wednesday, September 9, 2020

मैं वही हूँ जो मैं हूँ


 



क्यों ढूँढते हो मुझमें
राधा सी परिपक्वता
सीता सा समर्पण
यशोधरा सा धैर्य
मीरा सी लगन
दुर्गा सा पराक्रम
शारदे सा ज्ञान
मर्दानी सी वीरता
टेरीसा सा बलिदान
मुझे वही रहने दो ना
जो मैं हूँ
क्यों उसे ढूँढते हो मुझमें
जो वहाँ है ही नहीं !
मुझमें मुझीको ढूँढो 
उपकार होगा तुम्हारा !
आशाओं अपेक्षाओं के
इस चक्रव्यूह में मैं
इस तरह से गुम हो गयी हूँ
कि बाहर निकलने का
कोई भी मार्ग मुझे
अब दिखाई नहीं देता !
आदर्शों की इस भूलभुलैया में
मैं खुद भी जन्म से अब तक
ढूँढती ही आ रही हूँ खुद को
लेकिन इतने किरदारों में
मैं कौन हूँ
मैं कहाँ हूँ
कोई तो मुझे बताये
मैं क्यों अपने दर्पण में
खुद को न देख कर
किसी और की परछाई देखूँ
क्यों खुद का तिरस्कार कर
किसी और का मुखौटा लगाए
आत्महीनता की आँच में
खुद को सेकूँ    
कोई तो मुझे समझाये !


साधना वैद   

   

12 comments :

  1. बहुत बढ़िया! विचारनीय रचना.

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद प्रकाश जी ! आभार आपका !

      Delete
  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 09 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे प्रिय सखी !

      Delete
  3. राधा सी परिपक्वता
    सीता सा समर्पण.... ढूँढ़ना है तो ढूँढ़ो पर खुद भी तो राम, कृष्ण और गौतम बुद्ध के सद्गगुणों को आत्मसात करके दिखाओ....
    बहुत अच्छा संदेश देती रचना है दीदी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से आपका बहुत बहुत धन्यवाद मीना जी ! आभार आपका !

      Delete
  4. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.9.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिलबाग जी ! सादर वन्दे !

      Delete
  5. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.9.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! बहुत बहुत शुक्रिया !

      Delete
  6. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

    ReplyDelete