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Saturday, October 31, 2020

इसके सिवा कुछ और नहीं

 



सुनते हैं
लड़कियों की शिक्षा के मामले में
हमारे देश में खूब विकास हुआ है !
लडकियाँ हवाई जहाज उड़ा रही हैं,
लडकियाँ फ़ौज में भर्ती हो रही हैं,
लड़कियाँ स्पेस में जा रही हैं,
लड़कियाँ डॉक्टर, इंजीनियर,
प्राध्यापक, वैज्ञानिक सब बन रही हैं,
अभिनय, नृत्य, गायन, वादन, लेखन
सभी कलाओं में पारंगत होकर
अपना परचम लहरा रही हैं !
फिर यह कौन सी नस्ल है लड़कियों की
जिनका आये दिन बलात्कार होता है,
जिनके चेहरों पर एसिड डाल उन्हें
जीवन भर का अभिशाप झेलने के लिए
विवश कर दिया जाता है,
जो कम दहेज़ लाने पर आज भी
हमारे इसी विकसित देश में
सूखी लकड़ी की तरह
ज़िंदा जला दी जाती हैं,
जिन्हें प्रेम करने के दंड स्वरुप
‘ऑनर किलिंग’ के नाम पर
सरे आम मौत के घाट उतार दिया जाता है,
जो कम उम्र में ही ब्याह दी जाती हैं
और जिनके हाथों से किताब कॉपी छीन
कलछी, चिमटा, चकला, बेलन
थमा दिया जाता है !
जो बारम्बार मातृत्व का भार ढोकर
पच्चीस बरस की होने से पहले ही बुढ़ा जाती हैं !
हाँ, हमारे सैकड़ों योजनाओं वाले देश में
लड़कियों की एक नस्ल ऐसी भी है
जिनके बेनूर, बेरंग, बेआस जीवन में
जीने का अर्थ सिर्फ समलय में
साँसों का चलते रहना ही होता है !
बस, इसके सिवा कुछ और नहीं !


चित्र - गूगल से साभार


साधना वैद

13 comments :

  1. बेहद गंभीर विषय पर कलम चली है आपकी
    एक बहुत जरूरी और सार्थक कविता के लिए आपको साधुवाद !

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    1. हार्दिक धन्यवाद आभा जी ! कविता आपको अच्छी लगी मेरा श्रम सार्थक हुआ !

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  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 2 नवंबर 2020) को 'लड़कियाँ स्पेस में जा रही हैं' (चर्चा अंक- 3873 ) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    Replies
    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 01 नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. हार्दिक धन्यवाद दिव्या जी ! आपका बहुत बहुत आभार एवं सप्रेम वन्दे !

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  4. हार्दिक धन्यवाद शास्त्री जी ! आपका बहुत बहुत आभार !

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  5. वर्तमान समाज को आईना दिखाती रचना, बहुत सारे प्रश्नचिन्हों को उजागर करती है, महिलाओं की दयनीय स्थिति पर रौशनी डालती कविता समाज और शासन को सोचने के लिए मजबूर करती है - - नमन सह।

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका शांतनु जी ! स्वागत है आपका इस ब्लॉग पर ! बहुत बहुत आभार !

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  6. बहुत सही लिखा है |शानदार प्रस्तुति |

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    1. हार्दिक धन्यवाद जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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