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Sunday, September 5, 2021

गुरु और शिष्य




शिक्षक दिवस पर विशेष

गुरू रहे ना देव सम, शिष्य रहे ना भक्त
बदली दोनों की मती, बदल गया है वक्त !

शिक्षक व्यापारी बना, बदल गया परिवेश
त्याग तपस्या का नहीं, रंच मात्र भी लेश !

बच्चे शिक्षक का नहीं, करते अब सम्मान
मौक़ा एक न छोड़ते, करते नित अपमान !

कहते विद्या दान से, बड़ा न कोई दान  
लेकिन लालच ने किया, इसको भी बदनाम !

कोचिंग कक्षा की बड़ी, मची हुई है धूम
दुगुनी तिगुनी फीस भर, माथा जाये घूम !

साक्षरता के नाम पर, कैसी पोलम पोल
नैतिकता कर्तव्य को, ढीठ पी गए घोल !

सच्चे झूठे आँकड़े, भरने से बस काम
प्रतिशत बढ़ना चाहिए, साक्षरता के नाम !

कक्षा नौ में छात्र सब, दिए गए हैं ठेल
जीवन के संघर्ष में, हो जायेंगे फेल !

 ऐसी शिक्षा से भला, किसका होगा नाम !
लिख ना पायें नाम भी, ना सीखा कुछ काम !

करना होगा पितृ सम, शिक्षक को व्यवहार
रखें शिष्य भी ध्यान में, सविनय शिष्टाचार !

अध्यापक और छात्र में, हो न परस्पर भीत  
जैसे भगवन भक्त में, होती पावन प्रीत !

गुरु होते भगवान सम, करिए उनका मान 
विद्यार्थी संतान सम, रखिये उनका ध्यान !


साधना वैद

8 comments :

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(०५ -०९-२०२१) को
    'अध्यापक की बात'(चर्चा अंक- ४१७८)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. अरे वाह ! आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !
      शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  2. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, साधना दी।

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    1. हार्दिक धन्यवाद ज्योति जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  3. हर दोहा अलग अलग रूप दिखा रहा ।
    सत्य को कहती प्रस्तुति ।

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    1. आपकी सराहना मिल गयी मेरा लिखना सार्थक हुआ ! आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार संगीता जी !

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  4. बहुत सुन्दर दोहे बन पड़े हैं |बहुत शानदार|

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    1. हार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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