शुभ कदम
पावन हुआ घर
देवी जी आईं
आओ पधारो
सब मंगल करो
माँ वरदाई
हिंसा का नाच
युद्ध की विभीषिका
शमन करो
आतंकवादी
जो बिगाड़ें माहौल
दमन करो
पोंछ दो आँसू
रख दो मरहम
मिटा दो दर्द
रिसते ज़ख्म
क्षत विक्षत
अंग
चहरे ज़र्द
विघ्न नाशिनी
हे करुणामयी
माँ
कल्याण करो
रोई ममता
सहमी मानवता
निर्वाण करो !
साधना वैद
यथार्थ परक सार्थक रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अभिलाषा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteसुंदर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद विवेक जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteसार्थक रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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