सिंहावलोकन
विधा में रचना
राह तकूँ साजन
की निसदिन
निसदिन गीत
प्रेम के लिखती
लिखती जी भर
प्यारी पतियाँ
पतियाँ जिन्हें
मैं खुद ही पढ़ती
पढ़ती, पढ़ कर
उड़ती जाऊँ
जाऊँ पिया को संग
ले आऊँ
आऊँ जब आ जाना
संग
संग जमायेंगे
हम रंग !
तुमने पुकारा
तो कैसे न आते
आते तो साथ
अपना माजी भी लाते
लाते साथ अपने
माजी के साए
साए रहे संग
कोई आये या जाए
जाए वो जिससे
निभाना हो मुश्किल
मुश्किल भी ऐसी
न निकले कोई हल
हल का निकलना
आसाँ जो होता
होता चमन दिल
नसीबा न रोता !
चित्र - गूगल से साभार
साधना वैद
हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteसुंदर पंक्तियाँ। शुभ दीपावली।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद तिवारी जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! दीपावली की आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं !
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