आँखों में पानी
दुःख भरी कहानी
तुमने लिखी थी
हमें थी सुनानी
इंसाँ है नश्वर
दुनिया है फानी
मंज़र नया है
सदा थी पुरानी
तुम थे दीवाने
मैं भी दीवानी
चंचल थे ऐसे
नदिया का पानी
हवाओं से बेहतर
थी अपनी रवानी
दुनिया ने माना
तुमने न मानी
रीत चुका अब
आँखों का पानी
ख़त्म करो किस्सा
बंद ये कहानी !
चित्र -- गूगल से साभार
साधना वैद
सुंदर सृजन...
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनजान जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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