नंदलाला घर आए
यमुना धन्य हुई
पुरवासी हर्षाए !
नंदबाबा पुलकित हैं
धूम मची जग में
जसुदा के मुख स्मित है !
मैया माखन लाए
नटखट बाल किशन
खाने को ललचाए !
कान्हा पर सब खीझें
मटकी फूट गई
मन ही मन पर रीझें !
कान्हा तुम आ जाओ
यमुना तीर खड़ी
बंसुरी सुना जाओ !
सखियाँ भी आयेंगी
झूला झूलेंगी
नाचेंगी गायेंगी !
चित्र - गूगल से साभार
साधना वैद
बहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद हरीश जी ! आभार आपका !
Deleteतीन-तीन पंक्तियों में कृष्ण के अनेक मनहर रूप समेट दिये हैं आपकी क़लम ने!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! बहुत-बहुत आभार आपका !
Deleteमधुर मधुर ! भाव प्रवण !
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका ! दिल से आभार !
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