शोभना बड़े
पशोपेश में थी ! सोमवार को उसके मोहल्ले की किटी पार्टी थी ! इस बार सारी महिलाओं
ने मिल कर ड्रेस कोड रख लिया था ! किटी के दिन सबको लाल बॉर्डर की नीली साड़ी पहननी
थी ! सारी महिलाएं खूब सज धज कर आती थीं किटी पार्टी में ! सादगी पसंद शोभना बहुत
खूबसूरत भी थी और बहुत स्मार्ट भी लेकिन संयुक्त परिवार में रहने की वजह से उसका
हाथ हमेशा तंग रहता था ! उसकी ड्रेसेज बहुत मँहगी नहीं होती थीं लेकिन सुरुचिपूर्ण
जरूर होती थीं और वह उनमें ही बेहद खूबसूरत लगती थी ! शोभना घर की सबसे बड़ी बहू थी
! ज़िम्मेदार भी और किफायतशार भी ! वह कभी पति के सामने भी अपनी कोई फरमाइश नहीं
रखती थी ! उसके पति नीलेश ने भी अपने बड़े बेटे होने का हर फ़र्ज़ बखूबी निभाया और
अपनी ज़रूरतों को हमेशा सबसे पीछे रखा ! नीलेश उसे भी गाहे बे गाहे फिजूलखर्ची से
बचने की सलाहें अनजाने ही दे दिया करते थे ! अति स्वाभिमानी शोभना इसीलिये सदैव संकुचित
सी रहती थी !
शोभना के पास न तो नीले रंग की कोई साड़ी ही थी न कोई सूट ! उसने तय कर लिया कि वह पार्टी में नहीं जाएगी ! लेकिन उसका मन बहुत उदास था !
नीलेश ने उसका अनमनापन भाँप लिया, “क्या बात है शोभना कुछ परेशान सी हो !”
“नहीं तो ! ऐसी तो कोई बात नहीं है !” मुँह फेर कर शोभना ने बात टाल दी !
“अच्छा ? तुम्हारी किटी नहीं हुई अभी तक इस महीने ! कब होगी बताया नहीं तुमने !”
“सोमवार को है लेकिन मैं नहीं जा रही इस बार !”
“क्यों ? तुम्हें तो बड़ा मज़ा आता है किटी में ! क्यों नहीं जाओगी ? कुछ चाहिए क्या ?”
शोभना चकित थी ! क्या नीलेश को टेलीपैथी भी आती है ! उसकी आँखें भर आईं !
“हाँ, इस बार सबने ड्रेस कोड रखा है लाल बॉर्डर की नीली साड़ी पहननी है सबको ! मेरे पास नहीं है इसीलिये नहीं जाऊँगी !” शोभना बोल ही पड़ी !
“बस इतनी सी बात ! चलो जल्दी से तैयार हो जाओ ! बाज़ार चलते हैं तुम्हारी साड़ी लाने !”
शोभना मुग्ध होकर नीलेश को देख रही थी !
उसके मौन अधर बार-बार दोहरा रहे थे, “आप तो ऐसे न थे !”
शोभना के पास न तो नीले रंग की कोई साड़ी ही थी न कोई सूट ! उसने तय कर लिया कि वह पार्टी में नहीं जाएगी ! लेकिन उसका मन बहुत उदास था !
नीलेश ने उसका अनमनापन भाँप लिया, “क्या बात है शोभना कुछ परेशान सी हो !”
“नहीं तो ! ऐसी तो कोई बात नहीं है !” मुँह फेर कर शोभना ने बात टाल दी !
“अच्छा ? तुम्हारी किटी नहीं हुई अभी तक इस महीने ! कब होगी बताया नहीं तुमने !”
“सोमवार को है लेकिन मैं नहीं जा रही इस बार !”
“क्यों ? तुम्हें तो बड़ा मज़ा आता है किटी में ! क्यों नहीं जाओगी ? कुछ चाहिए क्या ?”
शोभना चकित थी ! क्या नीलेश को टेलीपैथी भी आती है ! उसकी आँखें भर आईं !
“हाँ, इस बार सबने ड्रेस कोड रखा है लाल बॉर्डर की नीली साड़ी पहननी है सबको ! मेरे पास नहीं है इसीलिये नहीं जाऊँगी !” शोभना बोल ही पड़ी !
“बस इतनी सी बात ! चलो जल्दी से तैयार हो जाओ ! बाज़ार चलते हैं तुम्हारी साड़ी लाने !”
शोभना मुग्ध होकर नीलेश को देख रही थी !
उसके मौन अधर बार-बार दोहरा रहे थे, “आप तो ऐसे न थे !”
साधना वैद
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बहुत सुंदर, छोटे-छोटे पल, छोटी-छोटी खुशियां,
ReplyDeleteएक समर्पित स्त्री के लिए इससे बेशकीमती कुछ नहीं शायद।
सादर।
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नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार ९ दिसम्बर २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
हार्दिक धन्यवाद श्वेता जी ! बहुत-बहुत आभार आपका ! सप्रेम वन्दे !
DeleteWahh
ReplyDeleteसागर सा गहरा एहसास पिरोया है आपने
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय वर्मा जी ! बहुत-बहुत आभार आपका !
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 10 दिसंबर 2025 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका पम्मी जी ! बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका ! सप्रेम वन्दे !
Deleteबेहतरीन
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद हरीश जी ! आभार आपका !
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