Followers

Saturday, March 16, 2013

क्या यह आत्मघात नहीं है ?













स्वप्न नींदों मे,
अश्रु नयनों में,
गुबार दिल में ही
छिपे रहें तो
मूल्यवान लगते हैं यह माना ।
भाव अंतर में,
विचार मस्तिष्क में,
शब्द लेखनी में ही
अनभिव्यक्त रहें तो
अर्थवान लगते हैं यह भी माना ।
पर इतनी ज्वाला,
इतना विस्फोटक
हृदय में दबाये
खुद से बाहर निकलने के
सारे रास्ते क्यों बन्द कर लिये हैं ?
क्या यह आत्मघात नहीं है ?


साधना  वैद

12 comments :

  1. अभिव्यक्ति संजीवनी है ... इसे प्रवाहित होने देना है

    ReplyDelete
  2. पर इतनी ज्वाला,
    इतना विस्फोटक
    हृदय में दबाये
    खुद से बाहर निकलने के
    सारे रास्ते क्यों बन्द कर लिये हैं ?

    विवशता उधर भी है. आतंकवाद भी एक चक्रवूह की तरह उसमें फंसे लोगों को निकलने का रास्ता नहीं देता भले ही वह आत्मघाती हो.

    सुंदर प्रस्तुति.

    ReplyDelete
  3. सार्थक प्रश्न ........
    मेरी तो जो अनिभूति होती है ,
    लिख देती हूँ ..... गद्द होता है या पद्द ,
    वो तो नहीं जानती ,
    लेकिन जब तक लिख ना लूँ ,
    गला में कुछ अटका सा लगता है ...........
    सादर !!

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सार्थक प्रस्तुतीकरण,आभार.

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर लिखा , मन को छू गयी पंक्तियाँ . आभार !

    ReplyDelete
  6. बहुत बड़ा विस्फोट होने को है ऐसा लगता है पर यह आत्मघाती न हो बस चिंता इस बात की है |उम्दा रचना |
    आशा

    ReplyDelete
  7. आज की ब्लॉग बुलेटिन ताकि आपको याद रहे - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  8. वाह!
    आपकी यह प्रविष्टि आज दिनांक 18-03-2013 को सोमवारीय चर्चा : चर्चामंच-1187 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

    ReplyDelete
  9. एकदम सटीक और सार्थक प्रस्तुति आभार

    बहुत सुद्नर आभार अपने अपने अंतर मन भाव को शब्दों में ढाल दिया
    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    एक शाम तो उधार दो

    आप भी मेरे ब्लाग का अनुसरण करे

    ReplyDelete
  10. सार्थकता लिये सशक्‍त प्रस्‍तुति ...
    आभार

    ReplyDelete
  11. बेहतर है उन्हें अभिव्यक्ति दे दी जाये... गहन भाव ... आभार

    ReplyDelete
  12. भावों को अभिव्यक्त करना ही बेहतर है .... गहन अभिव्यक्ति

    ReplyDelete