रात की अलस उनींदी आँखों में
एक स्वप्न सा चुभ गया है ,
कहीं कोई बेहद नर्म बेहद नाज़ुक ख़याल
चीख कर रोया होगा ।
सुबह के निष्कलुष ज्योतिर्मय आलोक में
अचानक कालिमा घिर आयी है ,
कहीं कोई चहचहाता कुलाँचे भरता मन
सहम कर अवसाद के अँधेरे में घिर गया होगा ।
दिन के प्रखर प्रकाश को परास्त कर
मटियाली धूसर आँधी घिर आई है ,
कहीं किसी उत्साह से छलछलाते हृदय पर
कुण्ठा और हताशा का क़हर बरपा होगा ।
शिथिल शाम की अवश छलकती आँखों में
आँसू का सैलाब उमड़ता जाता है ,
कहीं किसी बेहाल भटकते बालक को
माँ के आँचल की छाँव अवश्य मिली होगी ।
साधना वैद
एक स्वप्न सा चुभ गया है ,
कहीं कोई बेहद नर्म बेहद नाज़ुक ख़याल
चीख कर रोया होगा ।
सुबह के निष्कलुष ज्योतिर्मय आलोक में
अचानक कालिमा घिर आयी है ,
कहीं कोई चहचहाता कुलाँचे भरता मन
सहम कर अवसाद के अँधेरे में घिर गया होगा ।
दिन के प्रखर प्रकाश को परास्त कर
मटियाली धूसर आँधी घिर आई है ,
कहीं किसी उत्साह से छलछलाते हृदय पर
कुण्ठा और हताशा का क़हर बरपा होगा ।
शिथिल शाम की अवश छलकती आँखों में
आँसू का सैलाब उमड़ता जाता है ,
कहीं किसी बेहाल भटकते बालक को
माँ के आँचल की छाँव अवश्य मिली होगी ।
साधना वैद
बहुत खूब ..
ReplyDeleteबहुत बढिया..
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी भाव....
ReplyDeleteहर शब्द बहुत कुछ कहता हुआ....बहुत मर्मस्पर्शी भाव, बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें !!
ReplyDeleteजब भी आह निकलती है ... माँ बेचैन होती है
ReplyDeleteनहीं ज़रूरी है उसका वहीँ होना
घुप्प अँधेरे जब स्याह सोच बन जाते हैं
माँ की ऊँगली किरण सी कौंधती है
माँ के 'मर जा' कहने में भी 'शतायु भवः' का आशीर्वाद है
चुभते सपनों को माँ जादुई मुस्कान दे जाती है
हर अँधेरे को आँचल से पोछती जाती है ...
भावों को बहुत मर्मस्पर्शी शब्दों में गूँथा है .... काश हर बच्चे पर माँ का साया रहे ...
ReplyDeleteबेहद मर्मस्पर्शी
ReplyDeleteसुन्दर शब्द चयन और रचना |
ReplyDeletemother's day पर हार्दिक शुभकामनाएं |
आशा
कहीं किसी बेहाल भटकते बालक को
ReplyDeleteमाँ के आँचल की छाँव अवश्य मिली होगी ...एक उम्मीद है जो बनी रहे...ये ही चाह है