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Thursday, July 14, 2016

आये बदरा छाये बदरा



बरसो मेघा 
तृप्त कर दो तृषा 
प्यासी है धरा 
 
धरा प्रसन्न 
प्रतिफलित आस 
आये बदरा
 
प्यासी धरती 
उमड़ घुमड़ के 
आओ बदरा 
 
देखती राह 
दत्त चित्त वसुधा 
उमड़े मेघा
 
पानी में दिखे 
प्रतिबिंबित मेघा 
धरा का तप 

भर दो मेघा 
छोटी गुल्लक मेरी
मीठे जल से 
 
इंद्र देवता 
है आभार तुम्हारा 
पूजूँ पाहुन 

जीवनाधार 
छोटा सा जलाशय 
वनचरों का 

विहग वृन्द 
आओ न मेरे घर 
मीठा है पानी 

थोड़ा है पानी 
खुश हैं इंद्र देव 
फिर आयेंगे 

कोष छोटा है 
पर दिल है बड़ा 
सुस्वागतम 

फ़िक्र ना करो 
बाँटेंगे मिल जुल 
है जितना भी 

सुख न घटा 
दिखा अपनी छटा 
ओ काली घटा 

छाये बदरा 
सजाने वसुधा को 
आये बदरा 

बादल आये 
चिर तृषित धरा 
तृप्त मुस्काए 

साधना वैद



 
 


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