अलविदा प्यारे सम्राट
मिलेगा न तुझसा कोई
दोस्त प्यारा
अकेले पलों का तू ही
था सहारा
न होंगी किसीसे अब
बातें हमारी
कटेगा न काटे समय अब
हमारा !
तू था घर की रौनक
कलेजे का टुकड़ा
तेरे जाने से घर लगे
उजड़ा-उजड़ा
हैं मायूस सब सबकी
आँखें हैं गीली
कहें किससे मन में
छिपा अपना दुखड़ा !
चमकती थी आँखें हमें
सूँघते ही
थिरकते थे अंग एक
पुचकार से ही
न होगा कभी ऐसा
स्वागत हमारा
हिलाता था दुम दूर
से देखते ही !
न आएगा अब सुन के
आवाज़ कोई
न भौंकेगा हल्की सी
आहट पे कोई
कहाँ पायेंगे तुझसा
न्यारा कहीं हम
न माँगा कभी हमसे
उपहार कोई !
है सूना हर एक कोना
घर का तेरे बिन
न भाएगा अब कुछ भी
खाना तेरे बिन
तुझे ही नज़र ढूँढती
हर जगह है
तू था जैसे साया
मेरे संग पल छिन !
फिर क्यों चल दिया
उठ के बेगानों जैसे !
न सोचा कि तुझ बिन
रहेंगे हम कैसे
तू था सबसे प्यारा
खिलौना हमारा
तेरे बिन जियेंगे
मरेंगे हम कैसे !
न मुड़ के ही देखा
खफा हो गया तू
बिना कुछ भी बोले
विदा हो गया तू
न भूलेंगे हम तुझको
पल के लिए भी
रहेगा हमारे दिलों
में सदा तू !
अलविदा गुड बॉय !
साधना वैद
No comments :
Post a Comment