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Monday, July 17, 2017

कुण्डली हाइकू - अभिनव प्रयोग




हार गयी मैं
और कितने गूँथूँ
फूलों के हार

दिये जलाये
प्रसन्न हो प्रभु ने
दर्शन दिये

दीवान लिखे
अत्याचारी राजा का
क्रूर दीवान

सोया जो बोया
रह गया बापू का
नसीब सोया

माँग थी छोटी
भर दें पिया मेरी
मोती से माँग

जंग हो बंद
हथियारों में लगे
भले ही जंग

पानी पिला दूँ
नानी याद करा दूँ
उतारूँ पानी

पान कराये
षठ रस व्यंजन
खिलाया पान

आम जन का
सबसे प्रिय फल
रसीला आम

खोया सिरे से
मिठाई की मंडी में
विशुद्ध खोया

 पीली चुनरी
लगने लगी नीली
थोड़ी जो पी ली !

सोना है पाना
तो करो परिश्रम
त्याग दो सोना

जीना शान से
सफल हो चढ़ना
  यश का जीना  

संग दिल हैं
प्रियतम फिर भी
रहूँ मैं संग


साधना वैद



  

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