ओ दाता मेरे
दरकार है मुझे
तेरी मेहर
जानता हूँ मैं
रखता तू खबर
शामो सहर
भुलाए दुःख
तेरे ही कदमों में
रख के सर
काहे का डर
जब करता है तू
मेरी फिकर
जब भी हारा
तूने दिया सहारा
तेरा करम
हारीं मुश्किलें
मिटी हैं मुसीबतें
तेरा रहम
तू है सहारा
निगहबाँ हमारा
दीनो धरम
झोली पसारे
हैं दर पे तिहारे
कैसी शरम
करें पुकार
बख्श देना खताएं
दे बस प्यार
नादाँ बड़े हैं
भँवर की सफीना
लगा दे पार
दिखा दे राह
है उलझन बड़ी
बन्दानवाज़
तू है करीम
परवरदिगार
सुन आवाज़
साधना वैद
No comments :
Post a Comment