जब सुबह की समीर पहले की तरह
ना तेरे गीत गुनगुनाती है
ना ही तेरी खुशबू लेकर आती है
मैं जान जाती हूँ
आज अभी तक तेरी सुबह नहीं हुई है !
जब दिन की फिजां पहले की तरह
चुस्त दुरुस्त नज़र नहीं आती
ना ही सूरज से हमेशा की तरह
वह अविरल ताप झरता है
मैं जान जाती हूँ
आज ज़रूर तेरी तबीयत नासाज़ है !
जब खुशनुमां शामों की तमाम
मीठी सी सरगोशियों के बाद भी
ना किसी बात से मन बहलता है
ना ही कोई मधुर गीत दिल को छूता है
मैं जान जाती हूँ
आज तू बहुत उदास है !
जब रात अपनी सारी गहनता के साथ
नीचे उतर आती है,
जब चाँद सितारे आसमान में
एकदम मौन स्तब्ध अपने स्थान पर
रत्न की तरह जड़े से दिखाई देते हैं,
जब पास से आती पत्तों की
धीमी सी सरसराहट भी
अनायास ही बेचैन कर जाती है
मैं जान जाती हूँ
नींद तेरी आँखों से कोसों दूर है !
बस इतनी सी ख्वाहिश है
जैसे तेरे बारे में इतनी दूर रह कर भी
मैं सब कुछ जान जाती हूँ
काश तुझे भी खबर होती
डाल से टूटने के बाद
ज़मीन पर गिरे फूल पर
क्या गुज़रती है !
साधना वैद
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.02.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
ReplyDeleteधन्यवाद
हार्दिक धन्यवाद दिलबाग जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! सादर वन्दे !
Deleteबहुत सुंदर रचना। सादर।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद मीना जी ! हृदय तल से आभार आपका !
Deleteकाश तुझे भी खबर होती
ReplyDeleteडाल से टूटने के बाद
ज़मीन पर गिरे फूल पर
क्या गुज़रती है !
एक तरफ़ा सघन अनुभूतियों को सरलता से उकेरती भावपूर्ण रचना साधना जी | हार्दिक शुभकामनाएं|
हृदय से बहुत बहुत आभार आपका रेणु जी ! आपको रचना अच्छी लगी मेरा श्रम सार्थक हुआ !
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2036...कुछ देर जागकर हम आज भी सो रहे हैं...) पर गुरुवार 11 फ़रवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeletebas yahi ek kamjori hai hamari...
ReplyDeletekuchh bhi nayab dekhate hi Alfaz gunge ho jate hai...
excellent work!
https://www.thebest-books.info/2021/02/wings-of-fire-book-review.html
हार्दिक धन्यवाद आपका ! दिल से आभार !
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद उषा जी ! स्वागत है ! अपने ब्लॉग पर आज आपको देख कर बहुत ही हर्षित हूँ ! आया करिये इसी तरह ! मन उल्लसित हो जाता है !
Deleteसुन्दर रचना।
ReplyDeleteहृदय से आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteउम्दा और सुन्दर रचना |
ReplyDeleteवाह ! क्या बात है ! आपकी प्रतिक्रिया सुखद एहसास से भर जाती है ! हार्दिक धन्यवाद जीजी !
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