Followers

Saturday, October 2, 2021

विसर्जन

 




तुमसे आख़िरी बार मिलने के बाद

उसी नदी के किनारे कर आई हूँ मैं विसर्जन 

उन सभी मधुर स्मृतियों का

जिन्होंने मेरे हृदय में घर बना लिया था,

उन सभी खूबसूरत पलों का

जिनसे हमारी हर सुबह उजली और

हर शाम रंगीन हो जाया करती थी !

कर आई हूँ तर्पण उन वचनों का

जो कभी हमने एक दूसरे का साथ

जन्म जन्मान्तर निभाने के लिए

एक दूसरे का हाथ थाम लिये थे और

कर दिया है श्राद्ध उन सभी सुखानुभूतियों का

जिनके बिना यह जीवन अब एकदम से

बेनूर, बेरंग, बेआस हो जाने वाला है !

तुम्हारी लिखी जिन चिट्ठियों को मैं

अब तक हृदय से लगा कर संजोती आई थी

उनकी राख और चुन चुन कर तुम्हारे दिए

सभी स्मृति चिन्ह और उपहारों के फूल

एक पोटली में बाँध विसर्जित कर आई हूँ

मैं उसी नदी में जिसके किनारे

हमारे प्रेम भरे गीतों के मधुर स्वर

हवाओं में तैरा करते थे !

आज मैं श्राद्ध कर आई हूँ

एक बहुत ही खूबसूरत रिश्ते का

जो मेरे दिल के सबसे करीब था !

 

साधना वैद

 

 

 


11 comments :

  1. सुप्रभात
    बहुत सुन्दार यथार्थ परक अभिव्यक्ति |

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद आपका जीजी ! बहुत बहुत आभार !

      Delete
  2. आज मैं श्राद्ध कर आई हूँ
    एक बहुत ही खूबसूरत रिश्ते का , अहा कितना दर्द है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद तिवारी जी ! बहुत बहुत आभार !

      Delete
  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज रविवार 03 अक्टूबर  2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है....  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से धन्यवाद एवं आभार आपका यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !

      Delete
  4. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी !

    ReplyDelete
  5. एक असफल प्रणय गाथा का मार्मिक चित्रण साधना जी। भावपूर्ण काव्य चित्र के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 🙏🙏🌷🌷

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद रेणु जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

      Delete
  6. सुप्रभात
    भावपूर्ण प्रस्तुति की सुन्दर अभिव्यक्ति |

    ReplyDelete
    Replies
    1. वाह वाह ! क्या बात है ! आज तो किस्मत खुल गयी हमारी ! बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका जीजी !

      Delete