ले लो ले लो
मैं उजाले बेचती हूँ
तुम अंधेरे मिटा लो ।
कोई कमी नहीं है ।
जिसको जितना चाहिए ले लो ।
भर लो उजाला अपने घर में
मिटा दो अंधेरा जड़ से ।
आज मिल रहा है सस्ते में
कौन जाने कल मिले न मिले
आज कोई कमी नहीं है ।
अपना घर भी भर लो
उजालों से और अपने
पड़ोसियों का भी ।
कहीं ये मौका
निकल न जाये हाथ से
फिर पछताओगे बाद में ।
ले लो ले लो
मैं उजाले बेचती हूँ ।
तुम अंधेरे मिटा लो ।
चित्र - गूगल से साभार
साधना वैद
सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद हरीश जी ! आभार आपका !
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