खिला पलाश
झूमा अमलतास
मन हर्षाया
उल्लास छाया
सकल जगत में
वसंत आया
दहका टेसू
लटकाये फानूस
दीपित वन
हर्षित सृष्टि
उल्लसित धरती
सँवारे तन
आये मदन
गाने लगे विहग
स्वागत गान
विस्मित प्राण
अनुरक्त वसुधा
फूलों के बाण
आ गए कन्त
करने अभिसार
धरा तैयार
गूँथ ली वेणी
सजा लिए तन पे
फूलों के हार
फूली सरसों
डाल डाल पुष्पित
महके बाग़
धरती खेले
मनोहर रंगों से
पी संग फाग
साधना वैद
No comments :
Post a Comment