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Saturday, December 7, 2024

हाइकु मुक्तक

 




कौल पिता का, भटके जंगलों में, सन्यासी राम

निभाते रहे, दशरथ का वादा, करुणाधाम

हर ली सीता, क्रोधित रावण ने, हुआ अनर्थ

जलने लगी, प्रतिशोध की आग, छिड़ा संग्राम !

 

पन्नों के बीच, सूखी सी पाँखुरियाँ, गीली सी यादें,

तुम्हारी छवि, जब आती है याद, जगाती रातें, 

भीगी सड़क, रिमझिम फुहार, हाथों में हाथ

लम्बी सी सैर, आकाश पाताल की, बातें ही बातें !

 

चित्र - गूगल से साभार 

साधना वैद 

4 comments :

  1. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद आपका !

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  2. दोनों बहुत सुंदर !

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    Replies
    1. जी ! हार्दिक धन्यवाद आपका !

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