Followers

Monday, December 23, 2024

ओस की बूँदें

 


ओस की बूँदें
झिलमिलाते मोती
खुली अंजुरी

 

प्रेमोपहार
प्रभु का प्रकृति को
ओस के रत्न

 

सजी वसुधा
ओढ़ हरी चूनर
मोतियों जड़ी

 

लुटाता चाँद
रुपहले माणिक
दोनों हाथों से

 

खुश है धरा
पहन के नाज़ से
नौलखा हार

 

विनीत धरा
आभूषण ओस के
पुष्प मंजूषा

 

हरी पत्तियाँ
सहेजतीं प्यार से
ओस के मोती

 

बूँदों का भार
थरथराते पत्ते 
झरती बूँदें



चित्र - गूगल से साभार 

साधना वैद
 


2 comments :

  1. सुंदर प्रस्तुति

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! आभार आपका !

      Delete