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Saturday, May 3, 2025

कुछ फायकू

 



बनाई सुन्दर सी रंगोली
सजा दिए तोरण
तुम्हारे लिए

 

बिखेरी पाँखुरी पथ पर
चुन कर शूल
तुम्हारे लिए


रात भर जागे आतुर
द्वार खोलने को
तुम्हारे लिए

 

कितने गीत लिख डाले
मैंने डायरी में
तुम्हारे लिए

 

कितने व्यंजन बना डाले
खट्टे मीठे नमकीन
तुम्हारे लिए

 

कितने गीत गा चुकी
प्रतीक्षा करते हुए
तुम्हारे लिए

 

सब व्यर्थ हुए उपक्रम
किये जो हमने
तुम्हारे लिए

 

तुम नहीं आये तो

किया द्वार बंद

तुम्हारे लिए !




चित्र - गूगल से साभार 


साधना वैद  



5 comments :

  1. हार्दिक धन्यवाद एवं बहुत बहुत आभार आपका दिग्विजय जी ! सादर वन्दे !

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  2. व्याकुल है ये वेदना

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    1. धन्यवाद प्रिया जी ! आभार आपका !

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  3. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद शुभा जी ! बहुत बहुत आभार !

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