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Tuesday, July 16, 2013

एक पग तुमने बढ़ाया



एक पग तुमने बढ़ाया रास्ते मिलते गये ,
गुलमोहर की डालियों पर फूल से खिलते गये ! 

भावना की वादियों में वेदना के राग पर ,
एक सुर तुमने लगाया गीत खुद बनते गये ! 

चाँदनी का चूम माथा नींद से चेता दिया ,
सुर्मई अँगनाईयों में नूर से सजते गये ! 

दूर से आती हुई पदचाप का जादू ही था ,
पास तुम आते गये और सिलसिले बनते गये !

वक्त की दुश्वारियों ने कर दिया छलनी जिगर ,
प्यार से जो छू लिया तो ज़ख्म सब भरते गये ! 

अब तलक जो रंजो ग़म थे दिल की गहराई में गुम
एक ही लम्हे में झरने की तरह बहते गये ! 

प्रिय तुम्हारा मौन जैसे आप ही अभिशाप था ,
प्यार के दो बोल जो बोले गिले मिटते गये !



साधना वैद



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