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Wednesday, April 15, 2020

चंद चित्र हाइकू

आती हूँ पास 
तुम्हारी शरण मेंं
इस द्वार से 


शाख से गिरे 
धरा पर बिखरे 
रौंदे जाने को 


प्लावित कर 
मेरा अंतरमन 
अमृत धारा 



साधना वैद 

14 comments :

  1. बहुत सुंदर हायकु .अंतरमन को प्रकट कर देनेवाले..अभिनंदन!. .और जरुर लिखे.

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका !

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 16 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी!सप्रेम वन्दे !

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (17-04-2020) को "कैसे उपवन को चहकाऊँ मैं?" (चर्चा अंक-3674) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    आप भी सादर आमंत्रित है

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    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार मीना जी ! सप्रेम वन्दे !

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  4. वाह!बहुत सुंदर !!

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  5. वाह!! साधना जी चित्र और हाइकु एक दूसरे के पूरक ।सादर👌👌👌🙏🙏

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    1. हाइकू आपको अच्छे लगे रेनू जी मुझे बहुत प्रसन्नता हुई ! हृदय से आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार !

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  6. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! आभार आपका !

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  7. हाइकू का भाव चित्रों में साकार हो उठा है -साधु !

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    1. हार्दिक धन्यवाद प्रतिभा जी ! बहुत दिनों के बाद दर्शन हुए ! आभार आपका !

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  8. बहुत ही सुंदर ,आपको बधाई हो ,नमस्कार साधना जी

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