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Wednesday, August 26, 2020

उन्मुक्त पंछी

 


उन्मुक्त है तू अब
खुला हुआ है
विस्तृत आसमान
तेरे सामने
भर ले अपने पंखों में जोश
छू ले हर ऊँचाई को
और कर दे
अपने हस्ताक्षर
हर सितारे के भाल पर !


साधना वैद

14 comments :

  1. प्रेरक रचना

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    1. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका !

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी ! आभार आपका !

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  4. बहुत ही सुंदर रचना आदरणीय साधना जी

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    1. हार्दिक धन्यवाद सवाई सिंह जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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    1. हार्दिक धन्यवाद शास्त्री जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  6. सुन्दर रचना साधना जी!

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    1. हार्दिक धन्यवाद भट्ट साहेब ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  7. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 31 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे प्रिय सखी !

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