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Sunday, August 8, 2021

यादें


 


कुछ यादे हैं जो गुदगुदाया करती हैं

कभी अधरों पर बन मुस्कुराहट

तो कभी आँखों में बन बदली

छा जाया करती हैं,

हमें तो जीने का हुनर

सिखाया है इन यादों ने ही

कभी दोधारी तलवार पर

चला देती हैं

तो कभी आसमान में परिंदों सी

उड़ा जाया करती हैं !

मन के किसी कोने में

दबी छुपी ये यादें ही कभी

आज की ठहरी हुई ज़िंदगी को

रवानी दे जाया करती हैं

तो कभी उम्रदराज़ होती

दिल की थकी हुई

लस्त तमन्नाओं को

नयी जवानी और नया जोश देकर

फिर से जी उठने का

नायाब सलीका

सिखा जाया करती हैं !

 

साधना वैद

 


12 comments :

  1. यादें यूँ ही जोश भरती रहें ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद संगीता जी ! हृदय से आपका बहुत बहुत आभार !

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (०९-०८-२०२१) को
    "कृष्ण सँवारो काज" (चर्चा अंक-४१५१)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. कृपया बुधवार को सोमवार पढ़े।

      सादर

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  3. कुछ यादे हैं जो गुदगुदाया करती हैं
    कभी अधरों पर बन मुस्कुराहट
    तो कभी आँखों में बन बदली
    छा जाया करती हैं,///////

    वाह साधना जी | यादें में डूबे मन की मधुर अभिव्यक्ति | यादें उम्रदराज व्यक्ति को भी चिरयुवा बनाने की क्षमता रखती हैं | भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएं|

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    1. अहा रेणु जी ! आपकी प्रतिक्रिया सदा मुग्ध कर जाती है ! आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार !

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  4. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद शांतनु जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  5. मन के किसी कोने में

    दबी छुपी ये यादें ही कभी

    आज की ठहरी हुई ज़िंदगी को

    रवानी दे जाया करती हैं.... बहुत सुन्दर!

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद हृदयेश जी ! बहुत बहुत आभार !

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  6. हार्दिक धन्यवाद उर्मिला जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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