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Saturday, September 18, 2021

सुन लो न त्रिपुरारी

 


छन्न पकैया छन्न पकैया, मुश्किल है अब जीना

ग़म ही ग़म इनके जीवन में, पड़ता आँसू पीना  !

 

छन्न पकैया छन्न पकैया, बहती उलटी धारा

आसमान के नीचे इनका, कटता जीवन सारा !

 

छन्न पकैया छन्न पकैया, अब सुन लो त्रिपुरारी

दूर करो इनकी भव बाधा, विघ्न विनाशक हारी !

 

छन्न पकैया छन्न पकैया, तुमको आना होगा

मौसम की विपरीत मार से, इन्हें बचाना होगा !

 

छन्न पकैया छन्न पकैया,  आने को दीवाली

भूखा रहे न कोई जग में, भर दो सबकी थाली !

  

छन्न पकैया छन्न पकैया, क्यों अनर्थ यह होता

कुछ की किस्मत में धन दौलत, भाग्य किसी का सोता ! 

 

छन्न पकैया छन्न पकैया, प्रगटो अब गिरिधारी

ध्यान धरो अपने भक्तों का, हर लो विपदा सारी !

 

छन्न पकैया छन्न पकैया, विकट समय यह कैसा

लाज बचा लो अपनी गिरिधर, करो पराक्रम ऐसा ! 

 

साधना वैद

6 comments :

  1. सुंदर भक्ति गीत. आप भी कृपा कर मेरे ब्लॉग में कमेंट जरुर दो ..मुझे आपका बल्ग देखने को नहीं मिलता..फिर आसानी रहेगी ..

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    1. जी ज़रूर ! हार्दिक धन्यवाद एवं बहुत बहुत आभार आपका !

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  2. बहुत सुन्दर

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    1. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  3. उम्दा रचना पढ़ने में आनंद आ गया|

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    1. हार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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