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Thursday, January 2, 2025

नव वर्ष में लिए जाने वाले संकल्प

 



आधुनिक जीवन शैली में एक नई बात और जुड़ गई है ! नए साल पर कोई संकल्प लेना और मन वचन कर्म से उसका पालन करने के लिए प्रतिबद्ध रहना और उसका निर्वाह करने के लिए प्राण प्राण से जुटे रहना ! अब देखिये संकल्प भी दो तरह के होते हैं ! कुछ संकल्प ऐसे होते हैं जिनमें हींग लगे न फिटकरी और रंग भी चोखा आये ! कहने का अर्थ यह कि इनका पालन करने के लिए इंसान का आत्मबल और इच्छा शक्ति का प्रबल होना परम आवश्यक है बाहरी कोई बाधा इन्हें पूरा करने से नहीं रोक सकती ! जैसे---
मैं जीवन में कभी झूठ नहीं बोलूँगा
,
मैं रोज़ सुबह गीता का पाठ करूँगा,
मैं रोज़ अपनी माँ और पिताजी के पैर दबाया करूँगा  
मैं बेकार के कार्यक्रम देख कर अपना समय नष्ट नहीं करूँगा
इत्यादि इत्यादि !
दूसरे प्रकार के संकल्प ऐसे होते हैं जिनमें परिस्थितिजन्य बाधाएं आ सकती हैं उनका पूरा होना अक्सर मुश्किल भी हो जाता है ! जैसे---
मैं इन गर्मियों में कश्मीर ज़रूर जाउंगा !
मैं हर दीवाली पर वृद्धाश्रम में निश्चित धन राशि दान में दूँगा !
मैं साल में एक ट्रिप विदेश के लगाउंगा
,
मैं दो बच्चों की पढाई का खर्च उठाउँगा !
अब यहाँ पर संकल्प लेने वाला ऐसे भौतिक संसाधनों के बल पर संकल्प ले रहा है जो उसके वश में नहीं हैं ! मान लीजिये गर्मियों में घर में कोई संकट आ जाए ! कोई बीमार हो जाये
, कोई प्राकृतिक आपदा आ जाए तो कश्मीर का कार्यक्रम खटाई में पड़ सकता है ! ऐसे ही विदेश यात्रा का या दान में धन राशि देने का या बच्चों को पढ़ाने का संकल्प तभी तक निभाया जा सकता है जब तक पैसा बैंक में है ! यह पैसा दुर्घटना या शादी विवाह जैसे किसी आपदा प्रबंधन में खर्च हो गया तो खटाई में पड़ सकता है ! इसलिए ऐसा संकल्प लें जिसमें आत्म परिष्कार की संभावना भी हो और जिसे अपनी आत्मिक शक्ति से पूरा भी किया जा सके ! वैसे इस तरह के संकल्प लेने की आवश्यकता उन्हें ही पड़ती है जो इनका पालन नहीं करते ! ये बातें तो घर में माता पिता के द्वारा और स्कूलों में नैतिक शिक्षा की क्लास में बचपन से ही सिखाई जाती हैं !

सदा सच बोलो !
दीन दुखी की सेवा करो !
बड़ों का सम्मान करो !
छोटों को प्यार करो !
रोज़ सुबह ईश्वर का ध्यान करो !
आदि आदि ! यह न्यू ईयर रिजोल्यूशन का फैशन भी नया-नया ही निकला है ! शायद बिगड़ों को सुधारने के लिए यह तरीका अपनाया गया है !

साधना वैद