स्वार्थ सिद्धि में सब मगन, सबके मन में चोर
करना धरना कुछ नहीं, सिर्फ मचाना शोर !
सिर्फ मचाना
शोर बुरी है आदत जिनकी
मन में लालच भाव, यही है फितरत इनकी !
जब तक ढीली जेब
न सुनते बात किसीकी
कर दे मुट्ठी गरम सुनें ये बात उसीकी !
बदला जो न
स्वभाव पड़ेगी ‘उसकी’ लाठी
न आयेगी काम नौकरी, कद और काठी !
लाओगे बदलाव जो
खुद में रख कर निष्ठा
पाओगे पहचान जगत में नाम, प्रतिष्ठा !
साधना वैद
No comments :
Post a Comment