नहीं जाने
दूँगी तुम्हें
रात बिरात कहीं भी अकेली,
रोकूँगी हर हाल में
बेवजह की पार्टीज़ में जाने से !
माँ हूँ तुम्हारी !
क्या करोगी बोलो ?
आन्दोलन करोगी ?
अपने ताथाकथित दोस्तों के साथ
मिल कर घेराव करोगी मेरा ?
दर्ज कराओगी मेरी शिकायत
अपने पापा की कोर्ट में ?
कर लो जो भी करना हो
तुम्हारा यह आन्दोलन
कभी सफल नहीं होगा !
अपनी संस्कृति, अपने संस्कार,
अपनी मर्यादा, अपने सिद्धांत
और अपने ममता के अधिकार से
मैं कभी समझौता नहीं करूँगी
न ही किसीको करने दूँगी
फिर चाहे तुम हो
या तुम्हारे पापा
तुमको अपनी
कमजोरियों को
हर हाल में
जीतना ही होगा !
चित्र - गूगल से साभार
साधना वैद
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