मत डरोसाहस जुटाओजाग जाओ ! बीन कंटकराह अपनीखुद बनाओ बहुत ही सशक्त पंक्तियां ... आभार इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए
सभी पंक्तियाँ बहुत सुन्दर और सारगर्भित हैं..आभार
हौसला देती सशक्त रचना... आभार
राह में कोई भय नहीं हैजान जाओतुममें ही हर आन हैयह जान जाओ
सशक्त सुंदर रचना,,,,,उत्कृष्ट प्रस्तुति RECENT POST काव्यान्जलि ...: आदर्शवादी नेता,
सशक्त क्षणिकायेँ
प्रेरक पंक्तियाँ ..सशक्त रचना ..सादर !!
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल २४/७/१२ मंगल वार को चर्चा मंच पर चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप सादर आमंत्रित हैं
बहुत सुन्दर और प्रेरक क्षणिकाएं..सादरअनु
मत भजो देवी बनो खुद असुर मारो !@ इस 'आह्वाहन' की गूँज दूर तक जा रही है.
सार्थक बात कही है आपने .आभार
गहन विचार प्रस्तुत किये है छोटी छोटी पंक्तियों में |बहुत अच्छी लगी यह रचना |बधाई |आशा
बीन कंटकराह अपनीखुद बनाओ.... इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए .. आभार
बहुत सुंदर !!जरूरत अब इसी आह्वाहन की हैजागना ही है तुझे अब सोच लेराम बन मौत पक्की रावण की है !!
bahut hi oj poorn abhivyakti.
बहुत सुंदर .............प्रेरक क्षणिकाएं..
मत भजोदेवी बनो खुदअसुर मारो !....बहुत खूब! बहुत सार्थक प्रस्तुति...
बहुत ही बेहतरीन सारगर्भित रचना..:-)
मत डरो
ReplyDeleteसाहस जुटाओ
जाग जाओ !
बीन कंटक
राह अपनी
खुद बनाओ
बहुत ही सशक्त पंक्तियां ... आभार इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए
सभी पंक्तियाँ बहुत सुन्दर और सारगर्भित हैं..आभार
ReplyDeleteहौसला देती सशक्त रचना... आभार
ReplyDeleteराह में कोई भय नहीं है
ReplyDeleteजान जाओ
तुममें ही हर आन है
यह जान जाओ
सशक्त सुंदर रचना,,,,,उत्कृष्ट प्रस्तुति
ReplyDeleteRECENT POST काव्यान्जलि ...: आदर्शवादी नेता,
सशक्त क्षणिकायेँ
ReplyDeleteप्रेरक पंक्तियाँ ..
ReplyDeleteसशक्त रचना ..
सादर !!
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल २४/७/१२ मंगल वार को चर्चा मंच पर चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप सादर आमंत्रित हैं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और प्रेरक क्षणिकाएं..
ReplyDeleteसादर
अनु
मत भजो
ReplyDeleteदेवी बनो खुद
असुर मारो !
@ इस 'आह्वाहन' की गूँज दूर तक जा रही है.
सार्थक बात कही है आपने .आभार
ReplyDeleteगहन विचार प्रस्तुत किये है छोटी छोटी पंक्तियों में |बहुत अच्छी लगी यह रचना |बधाई |
ReplyDeleteआशा
बीन कंटक
ReplyDeleteराह अपनी
खुद बनाओ
.... इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए .. आभार
बहुत सुंदर !!
ReplyDeleteजरूरत अब इसी आह्वाहन की है
जागना ही है तुझे अब सोच ले
राम बन मौत पक्की रावण की है !!
bahut hi oj poorn abhivyakti.
ReplyDeleteबहुत सुंदर .............प्रेरक क्षणिकाएं..
ReplyDeleteमत भजो
ReplyDeleteदेवी बनो खुद
असुर मारो !
....बहुत खूब! बहुत सार्थक प्रस्तुति...
बहुत ही बेहतरीन सारगर्भित रचना..
ReplyDelete:-)