माना कि भ्रम का संसार
बड़ा
सुहाना होता है !
माना
कि भ्रम
मायूसी
के आलम में
जीने
के लिये एक
पुख्ता
बहाना होता है !
माना
कि भ्रम
रिक्तता
के शून्यकाल में
सुदूर
स्थित
आकाशकुसुम से सुखों तक
पहुँचने के लिये
आकाशकुसुम से सुखों तक
पहुँचने के लिये
एक
आसान सी सीढ़ी
उपलब्ध
करा देता है
माना
कि भ्रम
नैराश्य
के तिमिर से
आच्छादित
बुझे मन में
आशा
की किरण चमका
अन्धकार
को मिटा देता है !
लेकिन
जिस भ्रम का
अपना
कोई आकार न हो
कोई
अस्तित्व न हो
कोई
बुनियाद न हो
कोई
आधार न हो
जिसकी
विश्वसनीयता
उस
पर कैसी निर्भरता दोस्त !
यह
तो मरीचिका है
जो
सामने है हम उसके
अस्तित्व
को नकारते हैं
और
जो है ही नहीं
हम उसके मिथ्या अस्तित्व को
हम उसके मिथ्या अस्तित्व को
स्वीकारते हैं !
भ्रमों
में जीना इंसान को
क्षणिक
सुख अवश्य दे जाता है
लेकिन
जब ये भ्रम टूटते हैं
सारी
कायनात, इंसान, भगवान
यहाँ
तक कि स्वयं खुद पर से भी
सारा
विश्वास उठ जाता है !
साधना
वैद
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