मिली जुली सरकार नहीं है कर पाती कुछ
केवल लल्लो चप्पो से करती हमको खुश ,
मौके पर होता है यह नकली गठबंधन
वक्त पड़े तो शेर करे चूहे को वंदन !
मत आना झूठे वादों के झाँसे में तुम
नहीं हिलाना इनके आगे तुम अपनी दुम ,
फूट डाल कर लड़वाना इनकी है आदत ,
बिसराना मत प्रेम प्यार की शिक्षा को तुम !
बैठे हैं सीधे बन कर सब एक मंच पर
भरे ह्रदय में द्वेष, नहीं संदेह रंच भर ,
जल्दी ही उतरेगा तन से नकली चोला
मंत्री की कुर्सी होगी जब ‘एक’ लंच पर !
आ जायेंगे सब अपने असली बानों में
बोलेंगे गुर्रा कर सब बोली तानों में ,
होगा जम कर घमासान सत्ता की खातिर ,
बैठ जायेंगे सभी डाल उंगली कानों में !
देना होगा सोच समझ कर वोट भाइयों
हैं चुनाव का दौर सम्हल कर रहो भाइयों ,
भरमाने आयेंगे झूठे सच्चे नेता
चुनना है इनमें से असली रत्न भाइयों !
कैसे मानें जो दिखता वह सच है भाई
क्यों कर ज़ालिम दिल में आई पीर पराई ,
वोट माँगने को हैं सब हथकंडे साथी
मत भूलो कि यह झूठा नाटक है भाई !
कैसे करें भरोसा इन पर बर्बर हैं ये
क्या सोचेंगे जनहित में जब निर्दय हैं ये
इन्हें फ़िक्र है तो केवल अपनी सत्ता की
जनता की चिंताओं से तो निस्पृह हैं ये !
व्यर्थ लुटाते हो करुणा तुम भोले भाई
छलते हैं तुमको ये निर्मम नेता भाई
मत दे देना जबड़े में इनके तुम उंगली
मौक़ा पाकर खा जायेंगे तुमको भाई !
आँखें खोलो अबकी बार नहीं डरना है
जाँच परख कर सच्चे नेता को वरना है
पाँच साल के लिये बात फिर टल जायेगी
नादानी में वोट नहीं बोगस करना है !
मत सोचो अपने झगड़ों की छोटी बातें
जात धर्म और ऊँच नीच की ओछी घातें
सब धर्मों से बड़ा हमारा राष्ट्र धर्म है
इसे निभाना है मन से भूल सब बातें !
साधना वैद
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